Article Abstract

शिक्षा मानव विकास का एक मूल साधन है। यदि किसी भी व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो शिक्षा उसके लिए अति आवश्यक है। शिक्षा व्यक्ति की योग्यताओं का विकास करके उसे प्राकृतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक वातावरण के योग्य बनाती है। शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है तथा इसके प्रत्येक अनुभव से व्यक्ति में स्वयं के बारे में तथा अपने वातावरण के बारे में सूझ-बूझ विकसित होती है। जिस प्रकार एक विद्यार्थी को सफलता प्राप्त करने में उसकी अच्छी शिक्षा ही उसका साथ देती है। ठीक उसी प्रकार एक अध्यापक बनने के लिए उसकी शिक्षा में गुणात्मक सुधार तथा शिक्षण प्रभावशीलता को विकसित करने के लिए अध्यापक को भी शिक्षा की आवश्यकता है। अध्यापक शिक्षा को आवश्यक सेवागत सुविधाओं को प्रदान करने के लिए तथा गुणवता सम्बन्धी मानदण्डों को प्रस्तुत करते हुए उचित नियन्त्रण व्यवस्था को बनाये रखने के लिए उच्च स्तरीय अभिकरणों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिनके अभाव में उचित दायित्वबोध का विकास और सेवा सन्तुष्टि की उपलब्धि संभव नहीं हो पाती। इस दायित्व को निभाने के लिए देश में महत्वपूर्ण अभिकरण उच्च शिक्षा तथा अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर कार्यरत है। सामान्यतः राष्ट्रीय स्तर पर जो अध्यापक शिक्षा के लिए अभिकरण कार्यशील है उनमें राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद का (Ncte) का नाम अग्रणी है। इस परिषद का केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली में हैं और उत्तर भारत का क्षेत्रीय कार्यालय जयपुर में था जो इन दिनों दिल्ली में कार्यरत है। अध्यापक शिक्षा का विस्तृत पाठयक्रम तो Ncte ने तैयार किया है जबकि यही पाठ्यक्रम प्राथमिक स्तर पर दो वर्ष में पूरा होता है और माध्यमिक स्तर पर 180 दिनों में। इस बात क ...