हिन्दी उपन्यासों में सामाजिक चेतना: स्वरुप एवं आयाम | Original Article
प्रत्येक साहित्यकार रचनाकार होने से पहले व्यक्ति है और इसी कारण वह समाज से आस-पास के परिवेश से जुड़ा हुआ है