फसल उत्पादकता का मुद्धा तेजी से उभरता जा रहा है। वर्ष 1990 के पश्चात् से प्रति वर्ग उत्पादन को बढाने की प्रक्रिया ने चुनौती पेष की है। विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाने के बाद भी किसान उत्पादकता मे मनचाही वृद्धि नहीं कर पा रहा है। इसके लिए फसल चक्र पद्धति को भी अपनाया जा चुका है।
उत्तर प्रदेष कृषि बहुल राज्य होने के साथ-साथ जल उपलब्धता के मामले में भी अग्रणी रहा है। फसल की अच्छी उत्पादकता के लिए आवष्यक है कि उस क्षेत्र की जल-भू आकृति की स्थिति अच्छीहो, जल निकासी घनत्वकी स्थिति अच्छी हो, जमीन का ढाल उत्तम हो, भूजल सम्भावना की स्थिति सुदृढ हो, वर्षा की स्थिति ठीक हो। उत्तर प्रदेश इन सभी कसौटियों पर खरा उतरता है। इतना होने के बाद भी फसल उत्पादकता में वृद्धि उत्तम नही है। इस लेख का उद्देष्य उन तथ्यों का पता लगाना है जो भारत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में फसल उत्पादकता के रूझान को प्रभावित करते है।