शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत योगासनों का महाविद्यालयीन स्तरीय खिलाडियों की एकाग्रता पर प्रभाव का अध्यन
 
Dr. Triloki Yadav1*, Umesh Yadav2
1 Assistant Professor Deptt.of Physical Education, Dr. Rammanohar Lohia Avadh University, Ayodhya, U.P., India
Email: trilokiy@gmail.com
2 Research Scholar, P.G.College, Ghazipur, U.P., India

सार - इस अध्यन का उद्दयेश्य खिलाडियों की एकाग्रता पर योग की भूमिका का अध्यन करना है इस में एकाग्रता के स्तर के मापन हेतु परीक्षण किया गया, अध्यन के दौरान 60 पुरुष और महिला खिलाडियों का उपचार समूह रखा गया और उन्हें शामिल किया गया जो उत्तर प्रदेश के महाविद्यालयों में पढ़ने वाले 18 से 25 वर्ष उम्र के थे जिन्होंने किसी न किसी महाविद्यालयीन स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया हो, उन्हें 14 सप्ताह तक, सप्ताह में ५ दिन योगाभ्यास के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया, इस प्रयोग में कुमार और टेल्स (2009) के द्वारा लैटर कैंसलेशन कार्य का उपयोग किया गया, तत्पश्चात पूर्व और बाद लिए गए टेस्ट के माद्यम से प्रशिक्षण कार्य की प्रभावशीलता की जाँच की गयी, जिसमे टी टेस्ट का उपयोग किया गया अध्यन के नतीजे दर्शाते है की प्रायोगिक समूह के एकाग्रता परिक्षण में पूर्व और बाद के परिक्षण के साधनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर था

कीवर्ड - शारीरिक शिक्षा , योगासन , योगाभ्यास, खेल मनोविज्ञान, टी टेस्ट.

1. परिचय

लोग साधारण खेल कूद का उपयोग अपनी जनजातियों की सांस्कृतिक विरासत को प्रसारित करने के साधन के रूप में करते हैं, खेल और खेल की शारीरिक गतिविधियाँ प्राचीन सभ्यताओ के उत्थान और पतन के वावजूद बनी रहीं और एक सांस्कृतिक विरासत के रूप में सभ्यता के इतिहास में दृढ़ता से निहित हो गयी, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती रही. आज खेल और खेल सार्वभौमिक सांस्कृतिक घटना के रूप में उभरे हैं खेल में प्रदर्शन, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और चेतना के विभिन्न स्तरों पर होने वाले विभिन्न नियंत्रण और नियामक प्रक्रियायों की एकीकृत कार्यवाही का परिणाम है, ये प्रक्रियाये मोटर समन्वय के स्तर को निर्धारित करती हैं और आन्दोलन संरचना और खेल आन्दोलन के विभिन्न गुणों और विशेषताओं में अभिव्यक्ति हैं (हरदयाल सिंह , 1984)

1.1 एकाग्रता

एकाग्रता का तात्पर्य मानसिक प्रयास के साथ-साथ संवेदी या मानसिक घटनाओं पर ध्यान केन्द्रित करना है, इसलिए यह मुख्य रूप से चयनात्मक ध्यान आयाम से सम्बंधित है जिसमें व्यक्ति दूसरों की गतिविधियों को अनदेखा करते हुए सूचना के कुछ स्त्रोतों को चुनिन्दा रूप से संसाधित करने, में सक्षम होते हैं (जेम्स एवं अन्य..1890)
शोध से पता चलता है की व्यायाम और ध्यान का संज्ञानात्मक कामकाज और मनोदशा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्यूंकि योग व्यायाम और ध्यान का एक संयोजन है, इसलिए यह संभव लगता है की योग अकेले दोनों की तुलना में एकाग्रता और मनोदशा में अधिक सकारात्मक बदलाव लायेगा, पिछले उल्लेखित अध्यन से यह ज्ञात हुआ है की योग अकेले ध्यान की तुलना में अधिक सुधर लाता है, लेकिन अब इसकी तुलना व्यायाम से की जानी चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि यह कैसे परिणाम देता है.

1.2 खेल मनोविज्ञान

सिंह (1981) के अनुसार खेल मनोविज्ञ में मनोविज्ञान की विभिन्न ाखाएं शामिल हैं , क्यूंकि वे एथेलीट के प्रदर्शन को समझने की क्षमता, एवं व्यायाम व्यवस्था को बेहतर कैसे बनाया जाये से सम्बंधित है
इस से अधिक सरल रूप में देखा जाये तो खेल और व्यायाम मनोविज्ञान, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कारको के प्रभावों और खेल और खेल और व्यायाम में मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कारकों की भागीदारी का अध्यन है, खिलाडियों का प्रदर्शन मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कारकों से प्रभावित होता है जिन्हें समय-समय पर समायोजित किया जा सकता है और इसके विपरीत, खेल और व्यायाम गतिविधियों में शामिल होने से किसी व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक स्वरुप पर सकरात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
खेल और व्यायाम मनोविज्ञान सर्वोपरि एक विज्ञानं है इसलिये यह महत्त्वपूर्ण है की समझा जाये कि वैज्ञानिक रूप से प्राप्त ज्ञान कैसे अर्जित किया जा सकता है. और यह कैसे उपयोगी है, अर्थात अब वैज्ञानिक पध्दति को समझने की आवश्यकता है. विज्ञान गतिशील है, जिसे केवल विस्तृत अध्यन व अवलोकन के माध्यम से खोजे गये तथ्यों का संग्रह नहीं बल्कि दुनिया के बारे में सीखने की प्रक्रिया भी शामिल है. अनुभव के माध्यम से अर्जित ज्ञान के व्यवस्थित, नियंत्रित, अनुभवजन्य और आलोचनात्मक विश्लेषण के माध्यम से जब हम विज्ञान को मनोविज्ञान में लागू करते हैं तो लक्ष्यर्णित होते हैं, पूर्वानुमान लगाते हैं, और व्यव्हार पर नियंत्रण रख पाते हैं.

1.3 परिकल्पना

महाविद्यालयीन स्तरीय खिलाडियों की एकाग्रता स्तर पर योग अभ्यास का महत्त्वपूर्ण प्रभाव मौजूद है

2. कार्यप्रणाली

वर्त्तमान अध्यन एक प्रायोगिक अध्यन था, जिसमे 18-25 वर्ष की आयु के 60 पुरुष और महिला खिलाडियों को विषय के रूप में चुना गया था जिन्होंने 14 सप्ताह तक सप्ताह में 5 दिन योग अभ्यास के माध्यम से प्रशिक्षण लिया. लैटर कैंसलेशन कार्य के माध्यम से एकाग्रत के स्तर को मापा गया.

2.1 सांख्यिकी डिज़ाइन

प्रायोगिक समूह युग्मित-टी परिक्षण, परिक्षण के पूर्व और पाश्च-परिक्षण साधनों के बीच अंतर के महत्व को जानने के लिए लागू किया गया था. परिक्षण के लिए महत्व के स्तर को चुना गया, परिकल्पना का परिक्षण महत्व के 0.05 स्तर पर किया गया, जिसे इस अध्यन में अपनाई गयी शोध प्रक्रिया और उपयोग किये गए उपकरणों के सम्बन्ध में उपयुक्त माना गया.

3. डाटा का विश्लेषण और अध्यन का परिणाम

योगाभ्यास के माध्यम से 14 सप्ताह तक सप्ताह में 5 दिन प्रशिक्षित 60 खिलाड़ियों के समूह की एकाग्रता पर प्राप्त पूर्व और पाश्चा-परिक्षण डाटा के सकल स्कोर के वर्णात्मक आंकड़े इस भाग में प्रस्तुत किये गए हैं. जो माध्य, मानक-विचलन, मनका त्रुटी और भिन्नता से सम्बंधित थे, उनका उपयोग डाटा का विश्लेषण करने के लिए किया गया था.

3.1 एकाग्रता (लेलेत्टर कैंसलेशन टास्क)

एकाग्रता परिक्षण के सम्बन्ध में परिक्षण से पहले और परिक्षण के बाद के प्रदर्शन के बीच औसत अंतर तालिका क्रमांक-1 में प्रस्तुत किया गया है

तालिका क्रमांक 1

एकाग्रत परिक्षण पर परिक्षण-पूर्व और परिक्षण-पश्चात् प्रदर्शन के बीच अंतर का महत्व

*0.05 स्तर पर महत्त्वपूर्ण

टी.60(59)= 2.001

तालिका- में, एकाग्रता परिक्षण में पूर्व परिक्षण और परिक्षण पश्चात् प्रतिदर्शो के साधनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर था, मध्य अंतर की गणना 9.31 के रूप में की गयी थी और अंतर की मानक त्रुटी 1.05 थी क्यूंकि युग्मित ‘टी’ (8.0891) का प्राप्त मूल्य ‘टी’ (2.001) के सारणीबद्ध मूल्य से अधिक था, जिसे (59) डिग्री पर 0.05 स्तर के आत्मविश्वास के साथ स्वतंत्रता पर महत्त्वपूर्ण होना आवश्यक था.
एकाग्रता परिक्षण पर पूर्व परिक्षण और परिक्षण पश्चात् प्रदर्शन के माध्यम और मानक विचलन का चित्रात्मक प्रदर्शन, चित्र 1 में प्रस्तुत किया गया है
 

चित्र 1- एकाग्रता परिक्षण पर पूर्व परिक्षण और परिक्षण पश्चात् प्रदर्शन के माध्यम और मानक विचलन परिणामों की तुलना

3.2 निष्कर्षों की चर्चा

शोधार्थी ने अपने शोध कार्य की चर्चा प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. डाटा एकत्र करने के बाद उचित सांख्यिकी विश्लेषण किया गया, शोधार्थी ने मनोवैज्ञानिक पैरामीटर पर पुरुष एवं महिला खिलाडियों की 14 सप्ताह की योगाभ्यास प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभावों की जांच की तो पाया गया..
तालिका- में, मध्य अंतर की गणना 9.31 के रूप में की गयी थी और अंतर की मानक त्रुटी 1.05 थी क्यूंकि युग्मित ‘टी’ (8.0891) का प्राप्त मूल्य ‘टी’ (2.001) के सारणीबद्ध मूल्य से अधिक था, जिसे (59) डिग्री पर 0.05 स्तर के अत्मविश्वास के साथ स्वतंत्रता पर महत्त्वपूर्ण होना आवश्यक था.

3.3 परिकल्पना की चर्चा

ऐसा माना गया की योगाभ्यास का खिलाड़ियों के एकाग्रता स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, अध्यन के निष्कर्षों से पता चला की महाविद्यालयीन स्तरीय खिलाडियों के एकाग्रता स्तर पर योग अभ्यास का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, इसलिए पहले बताई गयी परिकल्पना को महत्व के 0.05 स्तर पर स्वीकार किया गया

3.4 परिणाम

परिणाम, सामान्य तौर पर इस बात का समर्थन करता है की प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विषयों के एकाग्रता स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, और यहाँ पाया गया की प्रायोगिक समूह के मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार हुआ. प्रायोगिक समूह के लिए सुधार की दर अधिक थी. अंत में, परिणाम से यहाँ संकेत मिलते हैं की जिन लोगों ने उपचार का पालन किया उनके एकाग्रता के स्तर में सुधर हुआ है.

4. निर्णय

अध्यन के नतीजों से पता चलता है की प्रायोगिक समूह के लैटर कैंसलेशन टास्क में पूर्व और बाद के परिक्षण के साधनों के बीच महत्त्वपूर्ण अंतर था, इसलिए योगाभ्यास करके व्यक्ति अपनी एकाग्रता के स्तर में सुधर कर सकता है.

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