मध्यकालीन भारत में इक्तादारी व्यवस्था
इक्तादारी व्यवस्था: मध्यकालीन भारतीय साम्राज्य और सामाजिक परिवर्तन
by Anil Kumar*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 73 - 75 (3)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
इक्तादारी प्रणाली वह प्रणाली थी जिसमें सुल्तानों ने अपने प्रशासनिक, सैनिक व भू राजस्व व्यवस्था का संगठन किया। दिल्ली सल्तनत की राजनैतिक व्यवस्था अपने पूर्वगामी राजपूत सामंती राज्य से भिन्न थी। यह भिन्नता दो तरह से दिखाई देती है। एक तो इक्ता अर्थात हस्तांतरण लगान अधिन्यास और दूसरे शासक वर्ग का स्वरूप। विजेता द्वारा विजित क्षेत्र सैनिकों में बांटना मध्यकालीन भारत की राजनैतिक व्यवस्था थी। इसका स्वरूप सामाजिक और राजनैतिक आवश्यकताओं के अनुसार बदलता रहा। जो क्षेत्र विजित किया जाता था उस क्षेत्र के राजा को अधीनता स्वीकार करनी पड़ती थी या उस क्षेत्र को छोड़कर किसी दूसरे क्षेत्र में जाना पड़ता था। कई क्षेत्रों पर सुल्तान का सीधा नियंत्रण होता था। परंतु अधिकतर क्षेत्र अमीर और सैनिक अधिकारियों में बांट दिए जाते थे। इक्ता का अर्थ है वह भूखंड है जिसमें आने वाला भू-राजस्व किसी भी अधिकारी या सैनीक का वेतन होता था। यह एक क्षेत्रीय अनुदान था जिसके पाने वाले को मुक्ति, वली और इक्तेदार कहा जाता था। जो नगद वेतन न लेकर भूमि का कुछ भाग लेते थे। इक्ता एक ऐसी संरचना थी जिसमें दो कार्य निहित थे पहला तो भूराजस्व इकट्ठा करना तथा तथा दूसरा उस एकत्रित भू-राजस्व को वेतन के रूप में अपने अधिकारियों को वितरित करना।
KEYWORD
इक्तादारी व्यवस्था, सुल्तानों, राजनैतिक व्यवस्था, सैनिक, भू राजस्व, दिल्ली सल्तनत, सामाजिक, आवश्यकताएं, अमीर, सैनिक अधिकारियों