हिंदी साहित्य में सिद्ध साहित्य का योगदान

A Study of Siddha Literature's Contribution to Hindi Literature

by Sujeet Kumari*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 136 - 138 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

हिंदी साहित्य परंपरा में सिद्ध साहित्य का महत्वपूर्ण योगदना रहा है। सिद्ध साहित्य ने भक्तिकाल की सगुण और निर्गुण दोनों धाराओं को प्रभावित किया। सिद्धों का सम्बन्ध बौद्ध धर्म की बज्रयानी शाखा से है। ये भारत के पूर्वी भाग में सक्रिय थे। इनकी संख्या 84 मानी जाती है जिनमें सरहप्पा, शवरप्पा, लुइप्पा, डोम्भिप्पा, कुक्कुरिप्पा आदि मुख्य हैं। सरहप्पा प्रथम सिद्ध कवि थे। इन्होंने जातिवाद और बाह्याचारों पर प्रहार किया। देहवाद का महिमा मण्डन किया और सहज साधना पर बल दिया। ये महासुखवाद द्वारा ईश्वरत्व की प्राप्ति पर बल देते हैं।

KEYWORD

हिंदी साहित्य, सिद्ध साहित्य, भक्तिकाल, बौद्ध धर्म, सरहप्पा, जातिवाद, बाह्याचार, देहवाद, महासुखवाद, ईश्वरत्व