देशज और अपभ्रंश की गतिशीलता
अपभ्रंश के महत्व और प्रभाव
by Dr. Charan Dass*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 175 - 178 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
व्याकरणाचार्य जिस भाषा को अपभ्रंश कहते हैं उसी भाषा को उसमें रचना करने वाले देशी भाषा कहते हैं। अपभ्रंश का शाब्दिक अर्थ है-भ्रष्ट, विकृत, अशुद्ध। भाषा के सामान्य मानदण्ड से जो शब्द रूप विकृत हों वे अपभ्रंश हैं। यह अवश्य है कि भाषा का एक सामान्य मानदण्ड बोलियों के अनेक विकृत शब्द रूपों से ही स्थिर होता है किन्तु, उसके साथ ही यह भी निश्चित है कि लोक व्यवहार में उस सामान्य मान के भी विकार होते रहते हैं।
KEYWORD
देशज, अपभ्रंश, गतिशीलता, व्याकरणाचार्य, भाषा, देशी, शब्द रूप, मानदण्ड, विकार, लोक व्यवहार