निर्गुण भक्ति में परमात्मा का एकेश्वरवाद स्वरूप

भक्ति काल में परमात्मा के स्वरूप का विश्लेषण: एकेश्वरवाद और निर्गुण भक्ति

by Seema Rani*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 266 - 268 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

भक्ति काल में अनके संत हुए हैं जिन्होनें परमात्मा की भक्ति की दो काव्यधारा सगुण और निगुर्ण भक्ति की विचारधारा का प्रतिपादन किया। निर्गुण भक्ति का प्रतिपादन करने वाले महात्माओं ने परमात्मा के एकेश्वरवाद अर्थात परमात्मा जो सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक है। वो एक ही है। वह सारे संसार से अलग है तथा लोक और वेद दोनों से परे है। सब महात्माओं का यही अनुभव है कि जिस परमात्मा से हम मिलना चाहते हैं वह एक है। यह नहीं कि हिन्दुओ का कोई और या सिक्खों और ईसाईयों का कोई ओर।

KEYWORD

निर्गुण भक्ति, परमात्मा, एकेश्वरवाद, काव्यधारा, महात्मा