बलात्कार को रोकने का उपाय - मृत्युदण्ड?: एक समीक्षा कानूनी
Examining the Effectiveness of Capital Punishment in Preventing Sexual Crimes
by Vinita .*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 278 - 283 (6)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
बलात्कार विरोधी कानून की परतें बहुत उलझी हुई है। बलात्कार जैसे अपराध को किस श्रेणी में रखा जाये? अगर किसी महिला का पति उससे बलात्कार करता है तो ये अपराध की श्रेणी में क्यों नहीं आता? लड़के और लड़कियों के लिए सेक्स की उम्र 18 वर्ष से कम न किये जाने के क्या मायने हैं? ऐसे कई सवाल पिछले दिनों इस सिलसिले में चली बहसों में उभर कर सामने आये है। 2001 से 2011 तक बलात्कार के आँकड़ों में वृद्धि हुई है। 2015 को अपेक्षा 2016 में ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है। कई बार ऐसे मामलों को दबा भी दिया जाता है। बलात्कार जैसी घटनाओं को रोकने के लिए आज तक कई कानून बने है, जैसे पॉक्सो एक्ट 2012। परंतु कठोर कानून होने के बावजूद बलात्कार पर रोक नहीं लगाई जा सकी। ध्यातव्य है कि इन कानूनों को और कठोर बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत आपराधिक कानून अध्यादेश (संशोधन) 2018 लाया, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 22 अप्रैल, 2018 को अपनी स्वीकृति दी। इस कानून में बलात्कार जैसे सघन्य अपराध को रोकने के लिए मृत्युदण्ड का प्रावधान किया गया है। परंतु इस बात पर भी बह्स है कि क्या मृत्युदण्ड बलात्कार जैसी घटनाओं पर रोक लगा सकता है।
KEYWORD
बलात्कार, मृत्युदण्ड, कानूनी, परिभाषा, लड़के और लड़कियों, बहस, मामलों, कानून, पॉक्सो एक्ट 2012, केन्द्र सरकार