1900 से 1947 तक साहित्यिक पत्रिकाओं का स्वरूप
भारतीय साहित्यिक पत्रिकाओं में पत्रकारिता के स्वरूप का विश्लेषण
by Niraj Kumari*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 296 - 299 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
1947 से पहले रचनाकारों ने पत्रकारिता के माध्यम से ही साहित्य के विभिन्न मानदण्ड स्थापित किए। साहित्य की सभी विधाएं जैसे कहानी, नाटक, निबंध, उपन्यास, आलोचना, एकांकी आदि रचनाकारों और पत्रकारों द्वारा प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं के द्वारा ही प्रकाश में आई। इन सभी विधाओं का निरंतर विकास साहित्यिक पत्रकारिता के द्वारा ही हुआ। साहित्यिक पत्रकारिता का प्रारंभ भले ही ’भारतेंदु हरिशचन्द्र’ से हुआ लेकिन यहां से शुरू होकर अनेक पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से साहित्यिक पत्रकारिता पल्लवित हुई और धीरे-धीरे पत्रकारिता के स्वरूप में भी बदलाव होता चला गया। 1947 से पहले प्रकाशित साहित्यिक पत्रिकाओं की संख्या कम नहीं थी।
KEYWORD
साहित्यिक पत्रिकाओं, स्वरूप, पत्रकारिता, मानदण्ड, विधाएं, विकास, पल्लवित, पत्रिकाओं, संख्या