स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता एवं रचनात्मक सरोकार

by Ramita Devi*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 382 - 385 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

स्वतन्त्रता के बाद जो काव्य रचा गया था, उसमें कुछ नई प्रवृत्तियों का समावेश था। यह नयापन विषयगत और शिल्पगत दोनों प्रकार का था। ये नयी प्रवृत्तियाँ ही किस काव्यधारा की अलग पहचान करवाने में पूर्ण भूमिका निभाती हैं।

KEYWORD

स्वातन्त्रयोत्तर हिन्दी कविता, रचनात्मक सरोकार, स्वतन्त्रता, नई प्रवृत्तियाँ, काव्यधारा