कहानी सग्रह ‘खयालनामा’ में नारी की सामाजिक स्थिति: एक दृष्टि
व्यक्ति एवं समाज के द्वंद्व में नारी की सामाजिक स्थिति के परिप्रेक्ष्य में एक अवलोकन।
by Mahipal .*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 420 - 421 (2)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
मनुष्य समाज और समाज मनुष्य के बिना अधुरा है। साहित्यगत अनुभूतियाँ व्यक्ति एवं समाज के यथार्थ को चित्रित करने के साथ-साथ व्यक्ति एंव समाज का पथप्रदर्शन भी करता है, इसलिए समाज व्यक्ति और साहित्य एक दूसरे से परे नहीं किया जा सकता। साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं, समाज का दीपक भी है। डॉ. रामविलास शर्मा मनुष्य एवं समाज के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए कहा है कि- “मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास उसके सामाजिक जीवन से ही संभव है। इसलिए व्यक्ति एंव समाज की स्वाधीनता एक दूसरे के विरोधी न होकर एक दूसरे पर अश्रित है।’’
KEYWORD
कहानी सग्रह, खयालनामा, नारी, सामाजिक स्थिति, दृष्टि