भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में होम रूल आन्दोलन के योगदान का विश्लेषणात्मक अध्ययन
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के कार्यकर्ताओं के योगदान का विश्लेषण
by Mr. Lalitmohan .*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 556 - 561 (6)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
होमरूल का अर्थ है-गृह शासन या स्वशासन। होमरूल आन्दोलन श्रीमती ऐनी बेसेन्ट तथा बाल गंगाधर तिलक ने आरम्भ किया। बाल गंगाधर तिलक छः वर्ष की सजा काटने के प्श्चात् 16 जून, 1914 को रिहा हुए। उन्होने माण्डले जेल अर्थात् बर्मा में रखा गया थ। जब वे भारत पहुँचे तो उन्हें काफी परिवर्तन देखने को मिला। क्रान्तिकारी नेता अरविन्द घोष ने राजनीति से संन्यास ले लिया और वे पांडिचेरी चले गए। लाला लाजपत राया भी इस समय अमेरिका में थे। कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में विभाजन, स्वदेशी व बहिष्कार आन्दोलन तथा 1909 के अधिनियम अर्थात् मिन्टो मार्ले सुधारों का नरमपंथियों पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। उनकी जनता में सहानुभूति समाप्त हो गई। तिलक अब राष्ट्रीय कांग्रेस से समझौता करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि, “मैं स्पष्ट तौर पर कहता हूँ कि हम लोग भारत की प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार लाना चाहते हैं, जैसा कि आयरलैण्ड में वहाँ के आन्दोलनकारी माँग कर रहे हैं। अंग्रेजी शासन को उखाड़ फैंकने का हमरा कोई इरादा नहीं है। इस बात को कहने में मुझे कोई हिचक नहीं है कि भारत के विभिन्न भागों में जो हिंसात्मक घटनाएँ हुई है, न केवल मेरी विचारधारा के विपरीत हैं, बल्कि इनके कारण हमारे राजनीतिक विकास की प्रक्रिया भी धीमी हुई हैं।’’ इसके अतिरिक्त उन्हें ब्रिटिश शासन में भी अपनी निष्ठा प्रदर्शित की और भारतीयों को भी प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों का साथ देने को कहा। इससे उदारवादियों में तिलक के प्रति सहानुभूति हो गई दूसरी और श्रीमती ऐनी बेसेन्ट भी लगातार तिलक पर राष्ट्रीय आन्दोलन पुनः करने का दबाव डाल रही थीं। अतः श्रीमती ऐनी बेसेन्ट और बाल गंगाधर तिलक दोनों ने मिलकर होमरूल आन्दोल चलाने का निर्णय ले लिया।
KEYWORD
होमरूल आन्दोलन, ऐनी बेसेन्ट, बाल गंगाधर तिलक, राष्ट्रीय कांग्रेस, स्वदेशी आन्दोलन