पंचायती राज के विकास में द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के दृष्टिकोण का विश्लेषण
Analyzing the Perspective of the Second Administrative Reforms Commission in the Development of Panchayati Raj
by Parveen Kumar*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 566 - 570 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को अपनाया गया है लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में जनता की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में भागीदारी होती है। इस प्रणाली का केंद्र बिंदु है विकेंद्रित सत्ता, क्योंकि स्थानीय स्तर पर लोंगो को अपनी दैनिक समस्याओं को हल करने का अधिकार न दिया जाए तो लोकतंत्र व कल्याणकारी राज्य के कोई मायने नहीं रह जाते है। स्थानीय स्तर पर स्थानीय व्यवस्था में विकास एंव सुधार की समय-समय पर आवश्यकता महसूस की जाती रही है। 73वें संविधान संशोधन 1992 के सवैंधानिक दर्जे के पश्चात् पंचायती राज व्यवस्था में केंद्र सरकार द्वारा 2005 में द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के गठन के रूप में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, जिसने हर क्षेत्र में सुधार के लिए सिफारिशें की। प्रस्तुत पत्र द्वितीय स्त्रोत पर आधारित है। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग, 2005 की छठी रिपोर्ट, स्थानीय अधिशासन का पार्ट-4 पंचायती राज के विकास की सिफरिशों का वर्णन करता है। पत्र में पंचायती राज की मुरव्य सिफारिशों का विश्लेषणात्मक वर्णन किया गया है। प्रस्तुत पत्र का मुरव्य उद्वेश्य पंचायती राज संस्थाओं के बारे में प्रस्तुत की गई आयोग की सिफारिशों से लोक प्रशासन व अन्य सम्बन्धित विषयों के शोधकर्ताओं व छात्रों को भविष्य में शोध के लिए प्रेरित करना है।
KEYWORD
पंचायती राज, विकास, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग, लोकतांत्रिक शासन, स्थानीय अधिशासन