महादेवी वर्मा का काव्य और गीति-सौष्ठव
by Vinod Kumar*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 715 - 718 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
हिन्दी की छायावादी काव्य-धारा के आधार-स्तम्भों में ‘प्रसुमनि’ (प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी, निराला) कवियों का विशेष योगदान रहा है। महादेवी के काव्य में एक साथ गीति, प्रणय, वेदना, दुःख, करुणा, रहस्यवाद, छायावाद, सर्वात्मवाद इत्यादि के दर्शन किये जा सकते हैं। छायावाद की सम्यक् पहचान इनके काव्य में हो जाती है।
KEYWORD
महादेवी वर्मा, काव्य, गीति-सौष्ठव, हिन्दी, छायावादी, प्रसुमनि, प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, निराला, गीति, प्रणय, वेदना, दुःख, करुणा, रहस्यवाद, सर्वात्मवाद, छायावाद, सम्यक् पहचान
3. An introduction to the study of literature, P. 127 4. Golden Treasurry, P. 9 5. Encyclopeadia Britanica, Vol. XVII, P. 181
6. साहहत्मारोचन, ऩृ. 115-116 7. हहन्दी साहहत्म का इततहास, ऩृ. 650 9. कार्वम औय करा तथा अन्म तनफॊध, ऩृ. 123 10. साॊध्मगीत, अऩनी फात, ऩृ. 4 11. सभीऺा-र्ास्त्र, ऩृ. 83 12. साहहत्मारोचन, ऩृ. 255 13. हहन्दी के आधुतनक प्रतततनधध कवि, ऩृ. 320 14. िही, ऩृ. 323
Corresponding Author Vinod Kumar*
M.A. Hindi, NET, B.Ed., Village Karmgargh, PO-Sahubala, Tehsil & Distrit Sirsa