हिन्दी का वैश्विक स्वरूप एवं विस्तार

The Global Significance and Expansion of Hindi

by Suman .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 725 - 728 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

हिन्दी विश्व की श्रेष्ठ एवं समृद्ध भाषा है। विकासशील देशों में हिन्दी की लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि दुनिया के करीब 137 देशों में, भारतीय मूल के लोग रहते हैं और उनकी सम्पर्क भाषा हिन्दी है। पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने नागपुर में हुए प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा था कि हिन्दी संसार की महान् भाषाओं में एक है और आज इसे देश-विदेश में करोड़ों लोग जानते हैं और व्यवहार में लाते हैं। विश्व में इसकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है।1 गौरव की बात यह है कि भारत के बाहर लगभग 125 विश्वविद्यालयों में हिन्दी का पठन-पाठन हो रहा है। जब हम विश्व के रंगमंच पर खड़े होकर देखते हैं कि विदेशों के अनेक स्थानों पर हिन्दी का व्यवहार और पठन-पाठन बड़े उत्साह से हो रहा है। यहाँ उन कतिपय देशों का उल्लेख किया जा रहा है, जहाँ हिन्दी लिखी और बोली जाती है।

KEYWORD

हिन्दी, वैश्विक स्वरूप, लोकप्रियता, भाषा, समृद्ध