महिला प्रतिनिधियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन: झारखण्ड के सन्दर्भ में

भारत में महिला प्रतिनिधियों के प्रति सामाजिक-आर्थिक स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन

by Mukesh Kumar*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 998 - 1003 (6)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

पंचायती राज संस्थाओं में महिला नेतृत्व विकास वर्तमान भारत का एक बेहद जरूरी विमर्श है। चूँकि यह महिला स्वतन्त्रता, समानता, मजबूती और महत्ता की हिमायत करता है, इसलिए इसे सम्पूर्ण मानव समाज के आधे हिस्से की बेहतरी से जुड़ा विमर्श कहा जा सकता है। इस बेहतरी की स्थापना हेतु भारत में स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की विकेन्द्रीकृत प्रणाली प्रारम्भ की गयी। यह विकेन्द्रीकरण जमीनी स्तर पर हुआ है तथा इन संस्थाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित (वर्तमान में कई राज्यों में 50 प्रतिशत) किये जाने से जमीनी स्तर पर काफी बदलाव हुए हैं। आज भारत में 12 लाख से अधिक महिला निर्वाचित प्रतिनिधि हैं जो दुनिया के किसी भी देश में नहीं हैं। इतना ही नहीं अगर पूरी दुनिया के निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या जोड़ी जाय तो वह संख्या इन भारतीय निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों से कम ही है। देखा जाय तो पंचायतों में महिला नेतृत्व विकास एक ऐसी मौन क्रांति का द्योतक है जो अभी राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक रूप से भले ही दिखाई नहीं दे रही हो पर उसकी धीमी आँच भारतीय लोकतंत्र को अवशय मजबूत बना रही है।

KEYWORD

महिला प्रतिनिधियों, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, तुलनात्मक अध्ययन, पंचायती राज संस्थाएं, महिला नेतृत्व विकास, विमर्श, स्वतन्त्रता, समानता, मजबूती, महत्ता, विकेन्द्रीकरण, स्थानीय स्वायत्त संस्थाएं