स्वामी विवेकानंद दर्शन – आज की प्रासंगिकता
स्वामी विवेकानंद के दाश्रनिक विचारों का प्रासंगिक अध्ययन और मानव मुक्ति
by Dr. Vivek Kumar*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 2, Feb 2019, Pages 1240 - 1244 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
स्वामी विवेकानन्द ने अपनी दाश्रनिक विचार धरा में मनुष्य की मुक्ति का उच्च आदर्श खोजा है। वे कहते हैं ‘‘एक परमाणु से लेकर मनुष्य तक, जड़ तत्व के अचेतन प्राणहीन कण से लेकर मनुष्य इस पृथ्वी की सर्वोच्च सत्ता मानवात्मा तक जो कुछ हम इस विश्व में प्रत्यक्ष करते हैं, वे सब मुक्ति के लिये, संघर्ष कर रहें हैं। यह समग्र विश्व मुक्ति के लिए संघर्ष का ही परिणाम है। हर मिश्रण में प्रत्येक अणु दूसरे परमाणुओं से पृथम होकर अपने स्वतन्त्रा पथ पर जाने की चेष्टा कर रहा है, पर दूसरे उसे आब करके रखै हुए हैं। हमारी पृथ्वी सूर्य से दूर भागने की चेष्टा कर रही है तथा चन्द्रमा पृथ्वी से। प्रत्येक वस्तु में अनन्त विस्तार की प्रवृति है। विश्व में जो कुछ देखतें है, उस सबका मूल आधार मुक्ति लाभ के लिए यह संघर्ष ही है। वे कहते हैं ‘‘चेतना तथा अचेतन समस्त प्रकृति का लक्ष्य यह मुक्ति ही है, और जाने या अनजाने सारा जगत इसी लक्ष्य की ओर पहुँचने का यत्न कर रहा है।’’
KEYWORD
स्वामी विवेकानंद, दर्शन, प्रासंगिकता, मुक्ति, आदर्श, विचार धरा, मनुष्य, परमाणु, मनुष्य तक, जड़ तत्व, प्राणहीन कण, पृथ्वी, सर्वोच्च सत्ता, मानवात्मा, विश्व, संघर्ष, समग्र विश्व, मिश्रण, अणु, स्वतन्त्रा पथ, पृथ्वी से दूर, चेतना, अचेतन समस्त प्रकृति, लक्ष्य, जगत, अनजाने, पहुँचने, यत्न