नगरीय वृद्धि और वायु प्रदूषणः एक पर्यावरणीय चुनौती (ग्वालियर-चम्बल सम्भाग के विशेष संदर्भ में)

ग्वालियर-चम्बल सम्भाग में नगरीय वृद्धि और वायु प्रदूषण की पर्यावरणीय चुनौती

by Swati Verma*, Dr. D. P. Singh,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 4, Mar 2019, Pages 1456 - 1465 (10)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

महानगरीय क्षेत्र ग्वालियर को मध्यप्रदेश के तीसरे सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक के रूप में पहचाना गया है, जो ग्वालियर-चम्बल सम्भाग के प्रमुख शहरों में से एक है। WHO द्वारा ‘परिवेशी वायु गुणवत्ता’ (Ambient Air Quality) के आधार पर शहरों की नवीनतम रैंकिंग में शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 8 भारतीय महानगरों की सूची है। इसके अलावा, भारत 20 शहरों के साथ शीर्ष 30 की सूची में हावी है। जीवित रहने के लिए हमें जिस वस्तु की सबसे अधिक आवश्यकता होती है वह है वायु। वायु के बिना मनुष्य ही नहीं वरन् कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता। वायु में जब सहनशीलता से अधिक धूल, गैस, धुंआ, कुहरा, पदार्थ कण एवं वाष्प की उपस्थिति होती है तो वायु प्रदूषित हो जाती है जिसे वायु प्रदूषण कहते है। वायु प्रदूषण में अविवर्द्धन औद्योगीकरण, नगरीकरण एवं परिवहन के विकास के फलस्वरूप हुआ है। वर्तमान में विकास की गति तीव्र होती जा रही है लेकिन तुलनात्मक रूप से पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसकी वर्तमान परिदृश्य में आवश्यकता है। हमें पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। जहरीली हवाओं का प्रभाव मानव के स्वास्थ के साथ-साथ पर्यावरण के अन्य जीवित जीवों पर भी पड़ता है। प्रदूषण का सबसे ज्यादा प्रभाव छोटे बच्चों और वृद्धों पर पड़ता है क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। वायु प्रदूषण के कारण गम्भीर बीमारियाँ फैल रही हैं जिनमें से कैंसर, अस्थमा एवं चर्म रोग प्रमुख हैं। प्रदूषण विभिन्न बीमारियों के बढ़ने के लिए जिम्मेदार है। देश-प्रदेश के प्रमुख शहरों में पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए प्रमुख कदम उठाए जा रहे हैं और कुछ सख्त कानून भी बनाए जा रहे हैं। जो वर्तमान परिस्थिति की मांग है।

KEYWORD

नगरीय वृद्धि, वायु प्रदूषण, ग्वालियर-चम्बल सम्भाग, शहरों, पर्यावरणीय चुनौती