चांदनी – कवि गुलाब
चांदनी और कवि गुलाब के गीत: भावुकता की मुखरित रूपन्तरण
by Veemmi Rani*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 4, Mar 2019, Pages 1764 - 1766 (3)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
चांदनी के गीतों का रचनाकाल सन १९३९ ई. से १९४५ के मध्य का है तथा इसका प्रकाशन १९४५ में हुआ था। चंद्र और चंद्रानन दोनों सदा से सहदयों को लुभाते रहे हैं। कवि गुलाब को भी चांदनी ने बहुत मुग्ध किया है। चांदनी के गीत कवि की भावुकता का मुखरित रूप है। विश्व का कदाचित ही कोई ऐसा कवि हो जिसने चांदनी पर अपनी लेखनी न उठायी हो पर किसी एक कवि ने लगभग पचास गीत लिखे हों यह अभी देखने में नहीं आया है।
KEYWORD
चांदनी, कवि गुलाब, गीतों, रचनाकाल, चंद्र, चंद्रानन, सदा, कवि, भावुकता, लेखनी