अमृता प्रीतम के हिंदी उपन्यासों का एक अध्ययन
A Study of Amrita Pritam's Hindi Novels
by Rajesh Kumar*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 6, May 2019, Pages 1695 - 1700 (6)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
अमृता प्रीतम का जन्म 31 अगस्त 1919 में अविभाजित भारत, (विभाजन के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरावाला) मे हुआ था। माता राजबीबी और पिता नंदसाधु की पुत्री के रूप में पिता ने इस कन्या को अपना उपनाम पीयूश समर्पित किया था। ‘पीयूश’ के पंजाबी अर्थ के आधार पर ही इस कन्या का नाम अमृता रखा गया। अमृता कौर की माता का देहांत 31 जुलाई सन् 1930 में हो गया था, जब बालिका अमृता केवल 11 वर्ष की थी और सिक्ख-पंथ के प्रचारक के रूप में अपने पिता के साथ संगत करती थी। माता के दहेातं के बाद अमृता कौर पिता के साथ लाहौर आ गई, जहाँ विवाह पष्चात् भारत आने तक वह वहीं रही। अमृता की सगाई बाल्यकाल में ही हो गई। माता के देहांत के बाद उन्होंने अपना एकाकीपन दूर करने के लिए कम उम्र में ही लेखन-कार्य प्रारंभ किया। अमृता प्रीतम ने कविता की बारीकियाँ अपने पिता से सीखीं, जो धार्मिक-गाथाओ के रूप में थीं उनकी पहली कविता-संकलन ’अमृतालहर’ का प्रकाशन 1936 मे हुआ, जब वह केवल 16 वर्ष की थी, यहीं से अमृता की रचना-यात्रा प्रारंभ हुई। 1936 से 1943 के मध्य इनकी कई कविताएँ प्रकाशित हुईं। उनका विवाह प्रीतम सिंह से होने के बाद उनका नाम अमृता प्रीतम पड़ा।
KEYWORD
अमृता प्रीतम, हिंदी उपन्यास, कन्या, लेखन-कार्य, कविता