हिन्दी-साहित्य के ‘आधुनिक-काल’ में ‘राष्ट्रीय-भक्ति भावना’: एक अध्ययन

The Evolution of Nationalistic Sentiments in Modern Hindi Literature

by Dr. Okendra .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 9, Jun 2019, Pages 276 - 283 (8)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

‘संस्कृत-साहित्य’ में ‘राष्ट्रीय भक्ति-भावना’ की उत्पत्ति का विस्तृत विवरण वेदों में ब्याप्त है वहीं ‘आधुनिक हिन्दी गद्य-साहित्य’ में ‘राष्ट्रीयता की भावना’ की उत्पत्ति का सम्पूर्ण विवरण ‘आधुनिक-काल’ की विभिन्न रचनाओं, काव्यों, लेखों इत्यादि में मिलता हैं। जो हमारी ‘राष्ट्रीयभावना’ को विभिन्न ‘गद्य-काव्यों’ में संजोये हुए है। अतः हम कह सकते हैं कि ‘राष्ट्रीयभावना’, ‘वैदिक-काल’ से लेकर ‘आधुनिक-काल’ तक के विभिन्न साहित्यों, वैदिक काव्य-ग्रन्थों, महाकाव्यों, वेदों इत्यादि में राष्ट्रीय-एकता, राष्ट्रीय भक्ति-भावना के संदर्भों का पर्याप्त विवरण मिलता है। आधुनिक हिन्दी-साहित्य का अध्ययन एवं अनुशीलन वर्तमान तथा पूर्व के युग की राजनीतिक, सामाजिक और साहित्यिक पृष्ठभूमि इत्यादि का एक संक्षिप्त सर्वेक्षण, अध्ययन आवश्यक है क्योंकि युगविशेष का साहित्य जहाँ पूर्ववर्ती साहित्य से जुड़ा है वहीं समसामयिक वातावरण और रचनाओं की प्रवृत्तियों का भी उस पर पर्याप्त प्रभाव पड़ा है। आधुनिक हिन्दी-साहित्य के ‘आधुनिक-काल’ में राजनीतिक द्रष्टि से इस युग में महात्मा गांधी जी का नेतृत्व जनता को सत्य, अहिंसा, और असहयोग के माध्यम से स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रेरणा एवं शक्ति प्रदान करता है, जिसका उल्लेख हिन्दी-साहित्य के विभिन्न साहित्यकारों के द्वारा अपनी “राष्ट्रीय भक्ति-भावना,” देशप्रेम की विभिन्न रचनाओं एवं साहित्यिक कृतियों में किया गया है।

KEYWORD

हिन्दी-साहित्य, आधुनिक-काल, राष्ट्रीय-भक्ति भावना, संस्कृत-साहित्य, आधुनिक हिन्दी गद्य-साहित्य, राष्ट्रीयता की भावना, वैदिक-काल, आधुनिक-काल, राष्ट्रीयभावना, वैदिक काव्य-ग्रन्थ, महाकाव्य, वेद