सहजीवन का सच भारतीय समाज के संदर्भ में

युवा वर्ग और संबंधी जाति-धर्म के प्रति समाज की धार्मिकता और संशय

by Dumrendra Rajan*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 9, Jun 2019, Pages 567 - 569 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

भारतीय समाज जहाँ एक ओर युवा वर्ग जाति-धर्म से बेखबर होकर ‘सहजीवन’ को अपना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर समाज का एक तबक ऐसे संबंधों के प्रति संशय एवं उपेक्षाभाव रखकर ‘सुपर अभिभावक’ की भूमिका निभाते हैं। कई बार तो ‘सुप्रीम कोर्ट’ को भी ऐसे मामले में दखल देना पड़ता है। इसलिये दार्शनिक ढ़ंग से विचार अनिवार्य प्रतीत होता है।

KEYWORD

सहजीवन, भारतीय समाज, युवा वर्ग, जाति-धर्म, समाज, संशय, उपेक्षाभाव, सुपर अभिभावक, सुप्रीम कोर्ट, दार्शनिक