भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका
The Impact of Women in the Indian Independence Movement
by Dr. Pooja Kiran*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 9, Jun 2019, Pages 793 - 797 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
संसार में परमात्मा ने स्त्री-शक्ति का मुकाबला करने वाली कोई दूसरी शक्ति उत्पन्न नहीं की। वास्तव में भारतीय इतिहास में गौरवपूर्ण अध्याय के निर्माण कार्य में जितना सहयोग स्त्री शक्ति ने दिया है उतना अभी तक किसी ने नहीं दिया। आदिकाल में भी जब-जब देवासुर-संग्राम छिड़ा राक्षसी शक्ति को नष्ट करने के लिए दैवी शक्ति का आश्रय लिया गया। भारत के स्वाधीनता संग्राम में आक्रमणकारियों के विरुद्ध सदैव स्त्री शक्ति अग्रणी रही। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता संग्राम अनेक दौरों से गुजरा। 1857 के विद्रोह में विश्व के सबसे महान् व शक्तिशाली साम्राज्य को चुनौती दी गई। 1857 के इस विद्रोह में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल जैसी वीरांगनाओं का योगदान विशेष उल्लेखनीय रहा। गांधी युग में राष्ट्रीय आन्दोलन जन आंदोलन में परिवर्तित हो गया। इस युग में सभी धर्मों व सम्प्रदायों के अनुयायियों तथा जनता के प्रत्येक वर्ग ने बढ़-चढ कर भाग लिया। इस कार्य में महिलाएँ भी पीछे नहीं रही। आरंभ से लेकर अंत तक उन्होंने न केवल शंतिपूर्ण आन्दोलनों में सक्रिय भाग लिया अपितु वे क्रांतिकारी गतिविधियों में भी सक्रिय रहीं। गांधी जी भी राष्ट्रीय आन्दोलन में महिलाओं की भागीदारी के पूर्ण पक्षधर थे। राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेकर महिलाओं ने न केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की बल्कि गिरफ्तार भी हुई। कुल मिलाकर महिलाओं के अंदर इस समय जो राष्ट्रचेतना पैदा हुई थी उसने यह सिद्ध कर दिया कि वे एक ऐसी राष्ट्रीय शक्ति है जो राष्ट्र की स्वाधीनता और अधिकारों के लिए सभी बंधनों से उन्मुक्त होकर लड़ सकती है। इस समय जिन स्त्रियों ने इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया था उनमें एक पंक्ति उनकी भी थी जो गांधी जी के अहिंसावादी नीति का अनुसरण कर रही थीं और दूसरी पंक्ति उनकी थी जिन्होंने क्रांति का मार्ग चुना था। राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में अपने आप को महिलाओं ने विविध आयामों के साथ प्रस्तुत किया है।
KEYWORD
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, महिलाओं, भूमिका, स्त्री-शक्ति, इतिहास, स्वाधीनता संग्राम, विद्रोह, लक्ष्मीबाई, बेगम हज़रत महल, राष्ट्रीय आन्दोलन, गांधी युग, क्रांतिकारी, राष्ट्रचेतना, अहिंसावादी, मार्ग