दुष्यंत कुमार के साहित्य में विरह भावना
An examination of the theme of separation in Dushyant Kumar's literature
by Maya .*, Dr. Meenu .,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 9, Jun 2019, Pages 860 - 862 (3)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
श्रृंगार रस के दो भेद स्वीकार किए गए हैं-संयोग श्रृंगार या वियोग श्रृंगार। संयोग श्रृंगार में नायक-नायिका के मिलन का चित्रण किया जाता है तथा वियोग श्रृंगार में नायक-नायिका के विरह का चित्रण किया जाता है। इस वियोग श्रृंगार को ही ‘विरह‘ भी कहा जाता है। प्रायः देखा गया है कि प्रत्येक सफल कवि के पीछे प्रेम की विफलता ही काव्य शक्ति के रूप में कार्य करती हैं।
KEYWORD
दुष्यंत कुमार, साहित्य, विरह भावना, श्रृंगार रस, संयोग श्रृंगार, वियोग श्रृंगार, नायक-नायिका, मिलन, विफलता, काव्य शक्ति