भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उग्रवाद और क्रांतिकारियों के उद्देश्य, कार्यक्रम
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उग्रवाद और क्रांतिकारियों का संबंध
by KM. Manisha Singh*, Abdul Halim,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 9, Jun 2019, Pages 1078 - 1081 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
प्राचीन काल से ही हमें भारतीय इतिहास में अनेक उतार चढाव देखने को मिलते रहे हैं। अनेक विदेशी शक्तियाँ भारत आईं और उन्हें जब भी मौका मिला उन्होंने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के स्रोतों को कमजोर करने का पूरा प्रयास किया। चाहे ईरानी आक्रमणकारी हों, यूनानी आक्रमणकारी हों, अरब आक्रमणकारी हों, महमूद गजनवी, बाबर, नादिरशाह या अहमदशाह अब्दाली हों इन सभी ने भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को प्रभावित एवं नष्ट करने का कार्य किया है। इसके परिणामस्वरूप देश की प्राचीन संस्कृति धरोहर आदि में परिवर्तन देखने को मिलते रहे हैं। 1857 की क्रांति से लेकर 1947 ई. तक देश में अनेकों आंदोलन हडतालें, सत्याग्रह, जुलूस एवं सभाओं का दौर जारी रहा। इस दौर को भारतीय इतिहास के राष्ट्रीय आंदोलन के नाम से जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर अदम्य पौरूष, अद्भुत साहस, असीम त्याग और अभूतपूर्व बलिदानों का भी इतिहास है। यों तो पूरा देश किसी न किसी रूप में आजादी की लड़ाई में भाग लिया ही है,
KEYWORD
उग्रवाद, क्रांतिकारियों, भारतीय संस्कृति, सभ्यता, आंदोलन