भारतीय संदर्भ में राष्ट्रीय सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा
भारतीय ऊर्जा सुरक्षा और नवीनतम ऊर्जा स्रोतों के प्रतिबंधी और निर्माण
by Mr. Birendra Kumar*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 9, Jun 2019, Pages 1124 - 1128 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
समसामयिक वैश्विक व्यवस्था में किसी भी राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा उसकी ऊर्जा सुरक्षा पर अवलम्बित हो गई है। ऊर्जा के संसाधनों की सीमित मात्रा की स्थिति में उसकी यह ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकता के लिए उसकी परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से अधिक महत्वपूर्ण उसकी गैर-पारम्परिक, पुर्नचक्रीय एवं नवीनतम ऊर्जा स्रोत हो गई है। यह नवीनतम ऊर्जा स्रोत जिसे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा नाम से परिभाषित किया गया है परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के अपेक्षाकृत अधिक चिरस्थायी है अन्यथा उसके परम्परागत ऊर्जा संसाधन अतिशीघ्र समाप्त हो जाएंगे और इसके पश्चात उसे अन्य राष्ट्रों से अपनी विदेशी मुद्राओं के आदान-प्रदान द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने होंगे। ऐसी परिस्थिति में विकासशील ही नहीं अपितु व विकसित राष्ट्र भी अधिक दिनों तक न तो अपनी राष्ट्रीय हितों को अक्षुण्ण रख पाएंगे और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा के मूल्यो को ही। अतः वैश्विक राजनीतिक की गत्यामकता की मुख्य धारा में बने रहने के लिए प्रत्येक राष्ट्र को प्रकृति प्रदत्त निःशुल्क संसाधनों यथा- सौर शक्ति, पवन शक्ति, सामुद्रिक ज्वार-भाटा, जीवाश्म आदि का उपयोग करना आवश्यक है। इस प्रकृति प्रदत्त संसाधनों में भारत विश्व के अग्रणी देशों में से एक है जिसे साल में कम से कम ३०० दिनों तक सूर्य की नाभिकीय संलयन सहित पवन शक्ति, जीवाश्म, ज्वार-भाटा, विविधता पूर्ण विशाल विशाल भू-भाग सहित प्रचुर मात्रा में मानवीय सम्पदा प्रकृति द्वारा उपहार स्वरूप उपलब्ध हैं। भारत इस ध्येय की दिशा में समय, तकनीक और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ अपनी राष्ट्रीय हितों एवं सुरक्षा की पूर्ति के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आवश्यक एवं लोचशील कार्यनीति बना कर प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है।
KEYWORD
राष्ट्रीय सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, परम्परागत ऊर्जा स्रोत, नवीन ऊर्जा स्रोत, विदेशी मुद्राएं