भारत में 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम का अध्ययन

स्थानीय स्तर पर पंचायती राज संस्थाएं और लोकतंत्रता का महत्व

by Madhu .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 16, Issue No. 9, Jun 2019, Pages 1276 - 1287 (12)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

पंचायती राज संस्थाएं लोकतंत्रत की प्रथम पाठशाला है। यह मूलतः विकेन्द्रीकरण पर आधारित शासन व्यवस्था है। केन्द्र तथा राज्य शासन तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक की निचले स्तर की लोकतान्त्रिक मान्यतायें शक्तिशाली न हो। लोकतंत्रीय राजनीति व्यवस्था में पंचायती राज ही वह माध्यम है जो शासन को सामान्य जन के दरवाजे तक लाता है। इस व्यवस्था में लोग विकास कार्यों के साथ-साथ अपनी समस्याओं का समाधान स्थानीय पद्दति के द्वारा आसानी से करने का प्रयास करते है। इससे पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े जनप्रतिनिधियों के विकास कार्यों के संचालन का स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण स्वत प्राप्त होता है। ये स्थानिय जनप्रतिनिधि ही कालान्तर में विधानसभा एवम् संसद का प्रतिनिधित्व कर राष्ट्र को सशक्त नेतृत्व प्रदान करते है। अत पंचायती राज संस्थाएं राष्ट्र को विकसित कराने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

KEYWORD

पंचायती राज संस्थाएं, लोकतंत्रता, विकेन्द्रीकरण, शासन व्यवस्था, लोकतान्त्रिक मान्यता, लोकतंत्रीय राजनीति, विकास कार्य, समस्या समाधान, विधानसभा, संसद