प्रमुख जनजातियों के आर्थिक व सामाजिक जीवन शैली का अध्ययन
भारत में बंगाल राज्य के जनजातियों के आर्थिक और सामाजिक जीवन शैली का अध्ययन
by Dr. Arvind Kumar Upadhyay*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 17, Issue No. 1, Apr 2020, Pages 151 - 153 (3)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
जनजातियाँ हमारे देश का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में पाई जाती हैं। कुछ उल्लेखनीय राज्य हैं- पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ इत्यादि। यह अध्ययन बंगाल राज्य में पाई जाने वाली विभिन्न जनजातियों के ऊपर है। इस अध्ययन में विभिन्न जनजाति समुदाय के जीवन शैली का अध्ययन किया गया है। जिससे यह पता चलता है कि यह जनजातियाँ मुख्य रुप से कृषि और जंगलों से उपलब्ध होने वाली वस्तुओं पर निर्भर है। यह जनजातियाँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
KEYWORD
जनजातियाँ, आर्थिक, सामाजिक जीवन शैली, अध्ययन, बंगाल
ऩरयचम (INTRODUCTION):
बायत जैसे ववकासशीर देश भें ववलबन्न जनजानतमों का सभूह अरग-अरग याज्मों भें ऩामा जाता है। जनजानतमों का बायत के आर्थषक ववकास भें भहत्वऩूणष मोगदान है। इन जनजानतमों के साभाजजक औय साॊस्कृनतक ऩहरुओॊ भें ववलबन्नता देखी जा सकती है। आबाग्मवश शहयों भें यहने वारे रोगों की तुरना भें मह जनजानतमाॉ जो कक प्रभुख रुऩ से ग्राभीण औय अववकलसत ऺेत्रों भें होती हैं, ववलबन्न सभस्माओॊ का साभना कयती हैं। प्रभुख रुऩ से अऩमाषप्त स्वास्थ्म सुववधाएॉ, साऺयता की सुववधाएॉ औय योजगाय के प्रफॊध अऩमाषप्त हैं। मह अध्ममन ऩजश्चभ फॊगार भें जाई जाने वारी जनजानतमाॉ जैसे कक सॊथार, साफय औय रोधा ऩय है।
उद्देश्म एवॊ अनुसॊधान ऩद्नत (OBJECTIVE & METHODOLOGY):-
इस अध्ममन भें बायत के ऩजश्चभ फॊगार याज्म भें ऩामे जाने वारी ववलबन्न जनजानतमों का साभाजजक व आर्थषक अध्ममन ककमा गमा है। जनजानतमाॉ जैसे कक साफय, सॊतय औय रोधा ऩजश्चभ फॊगार के ऩुरुलरमा जजरे भें ऩाई जाती हैं। ऩजश्चभ फॊगार भें ववलबन्न जनजानतमाॉ भौजूद हैं। अत् मह याज्म इन सभुदामों के आर्थषक व साभाजजक जीवन के अध्ममन का केन्ि है। इस अध्ममन से चुनी गई जनजानतमों को होने वारी साभाजजक व आर्थषक सभस्माओॊ का वववयण ककमा गमा है।
ववचाय ववभशष औय ऩरयणाभ (DISCUSSION & RESULTS):
बायत की जनसॊख्मा का रगबग 8% जनसॊख्मा जनजातीम है जो कक एक फड़ा आॉकड़ा है। ववश्व स्तय ऩय (दत्त, 2007) मह जनजानत भुख्म रुऩ से कुऩोवषत है एवॊ इनकी आर्थषक जस्थनत कभजोय है। (घोष, 2007) सॊतम जनजानत सभुदाम बायत देश का तीसया सफसे प्रभुख जनजानत सभुदाम है। प्रथभ औय द्ववतीम जनजानत सभुदाम गोंड औय लबर है। (फसु, 2004) सॊथार जनजानत सभुदाम ऩजश्चभ फॊगार के अरावा बफहाय याज्म औय उडड़सा भें बी ऩामा जाता है। ऩजश्चभ फॊगार भें कुछ प्रभुख जजरे जैसे बफयबुभ, लभदनाऩुय, फानकुया औय ऩुरुलरमा भें ववशेष रुऩ से सॊथार जनजानत का आवास है। मह जनजानत अऩने जीवन-माऩन के लरए कृवष की जभीन की तराश भें बटकती यहती थी। (थाय गुप्ता, 2009) ककसी अध्ममन भें ऩामा गमा कक सॊतर जनजानत का भूर ननवास स्थान बायत भें है जो कक भुख्म रुऩ से ऩजश्चभ फॊगार, बफहाय, उडड़सा औय छोटानागऩुय भें है। (अकन, 2015) सॊथार
जनजानत ऩय दहन्दुओॊ की ऩयॊऩया का कापी प्रबाव है जजसे
औय नृत्म का कापी प्रचरन है। कुछ फॊगारी शोधकताषओॊ के अनुसाय सॊथार नाभ ऩजश्चभ फॊगार भें जस्थत एक जगह ‗सॊभतरऩार‘ के नाभ ऩय ऩड़ा है। इस जगह ऩय बायी भात्रा भें सॊथार जनजानत यहती थी। सॊथार अऩने जीवन माऩन के लरए प्रभुखत् लशकाय कयना, भछरी ऩकड़ना औय कृवष ऩय ननबषय है। (आचषय, 2020) सॊथार लशऺा को भहत्वऩूणष भानते हैं औय फॊगारी भें ही औऩचारयक लशऺा रेते हैं। कृवष कामष भें वह धान, दार, आरू, गेहूॉ, केरा इत्मादद का उत्ऩादन कयते हैं। (हेम्ब्भ, 2016)। साफय एक प्रकाय की जनजानत है जो भुख्म रुऩ से भध्मप्रदेश, उड़ीसा, आन्रप्रदेश, बफहाय औय ऩजश्चभ फॊगार के ऩहाड़ी इराकों भें ऩाई जाती है। मह जनजानत बी अन्म जनजानतमों की तयह कृवष ऩय भुख्म रुऩ से ननबषय है। मह जनजानत कापी अॊधववश्वास को भानती है। (फसु, 2004) फॊगार के ऩुरुलरमा जजरे के गाॉवों भें इनका ननवास है। मह जनजानत जॊगरों भें यहती है औय अऩने यीनत-रयवाजों का ऩारन कयती है। (दहकभैन, 2018) इन यीनत-रयवाजों भें लशकाय कयना, नाचना, गाना, जॊगरों के जानवयों के साथ खेरना इत्मादद शालभर है। (दहकभैन औय लसन्हाए 2018) रोधा जनजानत लभदनाऩुय के जॊगरों भें पैरी हुई है। मह ऩुरुलरमा औय हुगरी जजरों भें बी ऩाई जाती है। मह जनजानत जॊगरों की वनस्ऩनतमों को ऩास के स्थानीम फाजाय भें फेचते हैं। इसके अरावा साॉऩ की स्कीन फेचकय अऩना धॊधा कयते हैं। (धायगुप्ता, 2009) लशकाय कयना इस जनजानत का प्रभुख जीवनमाऩन का स्रोत है। आधुननक कार भें मह जनजानत कृवष को भहत्व दे यही है। अत् जॊगर की वनस्ऩनतमों के साथ-साथ कृवष से बी अऩना जीवन-माऩन कय यही है। (भजूभदाय औय चटजी, 2020) सॊतर, साफय औय रोधा के अनतरयक्त बफयहोय बी एक प्रभुख जनजानत है। जो कक अन्म जनजानत की तयह ही सभाज का भुख्म दहस्सा है। इन जनजानतमों को सभाज का प्रभुख दहस्सा भान लरमा गमा है औय सयकाय इनके जीवन-स्तय को सुधायने के लरए ऩमाषप्त भात्रा भें साभाजजक एवॊ आर्थषक सॊयचना उऩरनध कया यही है।
ननटकषष (CONCLUSION):
मह अध्ममन ऩूवी बायत के ऩजश्चभ फॊगार याज्म भें ऩाई जाने वारी प्रभुख जनजानतमों के जीवन ऩय प्रकाश डारता है। इसभें सॊतर, साफय औय रोधा जैसे प्रभुख जनजानत का अध्ममन ककमा गमा है। इससे ऩता चरता है कक मह जनजानत भुख्म रुऩ के भूरबूत सुववधाओॊ को उऩरनध कयाना जरुयी है। मह जनजानतमाॉ ग्राभीण ऺेत्रों की अथषव्मवस्था भें भहत्वऩूणष मोगदान देती हैं। अत् इन सबी के ववकास का कदभ, ग्राभीण अथषव्मवस्था की तयप ववकास का कदभ है।
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Corresponding Author Dr. Arvind Kumar Upadhyay*
Department of History