कोंदर जनजाति की वास्तविक आवश्यकताओं का समाजशास्त्रीय अध्ययन

जनजाति समाज के विकास में सरकारी योजनाओं का का प्रभाव और चुनौतियाँ

by दिगंत द्विवेदी*, प्रो. सरिता कुशवाह,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 17, Issue No. 1, Apr 2020, Pages 658 - 660 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

न्याय का संवैधानिक ध्येय राष्ट्र के विस्तृत आकार, कोंदर जनजाति, महिलाओं, आदिम जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक समाज के निम्न व्यक्तियों की वास्तविक आवश्यकतओ का स्मरण करते हुए पूरा नहीं हो पाया है। परिवारों एवं सामाजिक क्षेत्रों और कार्य क्षेत्रों पर लिंग भेद या जातिभेद आम बात है। कोंदर जनजाति आधुनिक समाज के साथ चलना चाहते हैं और अपने समाज का सामाजिक उत्थान चाहते हैं। यह समाज यह सोचने में बाध्य है कि आधुनिक समाज के विकास की क्रिया के समान उनके विकास का लाभ कोंदर समाज को प्राप्त नहीं हो रही। जबकि उनके विकास के लिए बनाई गई सरकारी योजना कोंदर समाज के विकास के लिए ही हैं। सरकार और विभागों द्वारा बनाए गए कार्यक्रम को लागू करने में अधिक खर्चा भी किया जा रहा है। परंतु कोंदर समाज की मूलभूत वास्तविक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सरकार और विभाग असफल रहा है। आदिम जनजातियों के लिए बनाई गई योजनाएं एवं कार्यक्रम के क्रियान्वयन में स्वतंत्रता ,आधुनिकता और लचीलापन चाहिए और इसके साथ सरकार द्वारा चलाए कार्यक्रम में अनैतिकता, शिथिलता और बर्बादी को समाप्त करने पर जोर देना चाहिए। ‘जनजाति समाज के लिए कार्य करने वाली संस्था या एनजीओ के अनुभव का सरकार लाभ उठाएं और इन संस्था या एनजीओ की इच्छा है कि सरकार द्वारा जनजाति समाज के विकास में कार्य में साथ रहकर सहयोग करें।‘ इसलिए इन संस्थाओं या एनजीओ एवं सरकारों के मध्य एक मजबूत संबंध की वास्तविक आवश्यकता है। यह संबंध सरल, पारदर्शी ,स्पष्ट तथा कार्यों के प्रति पूर्ण समर्पित होना आवश्यक है।

KEYWORD

कोंदर जनजाति, महिलाओं, आदिम जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समाज, वास्तविक आवश्यकताओं, समाजशास्त्रीय अध्ययन, सामाजिक उत्थान, सरकारी योजना, कार्यक्रम