सड़क पर रहने वाले बच्चों की जनसांख्यिकी और रहने की स्थिति

बाल सुरक्षा एवं सामाजिक कल्याण

by Upendra Singh*, Dr. Sarita Singh,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 17, Issue No. 2, Oct 2020, Pages 1177 - 1181 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

हमारा समाज इन बच्चों को हेय दृष्टि से देखता है। यह एक प्रमुख सामाजिक विपथन है और पूरी तरह से अनैतिक है। इसलिए इन बच्चों के जीवन को बदलने के लिए कुछ विश्वसनीय उपाय किए जाने चाहिए।गली के बच्चों और अन्य कठिन परिस्थितियों से संबंधित बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी और अन्य उपाय पहले से मौजूद हैं। लेकिन ये उपाय स्ट्रीट किड्स और मुख्यधारा के समाज के बीच की खाई को पाटने में ज्यादातर विफल रहे हैं।विभिन्न कानूनों, घोषणाओं, सम्मेलनों, प्रसंविदाओं आदि सहित इन उपायों को तैयार हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन आवारा बच्चों के दर्दनाक और हतोत्साहित करने वाले दृश्य समाज से मिटाए नहीं गए हैं।वे धीरे-धीरे सभी मानवीय इंद्रियों को खोते जा रहे हैं और इसलिए, वे सड़क पर रहने वाले बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे कि उन्हें अन्य मनुष्यों के साथ नहीं गिना जाना चाहिए।

KEYWORD

सड़क, बच्चों, जनसांख्यिकी, रहने, स्थिति, समाज, परिस्थितियों, राष्ट्रीय, उपाय, स्ट्रीट किड्स