सरकारी एवं निजी शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों के शैक्षिक वातावरण का तुलनात्मक अध्ययन

by Rakhi Kumari*, Dr. Vijay Gupta,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 18, Issue No. 4, Jul 2021, Pages 224 - 229 (6)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

शिक्षा व्यक्ति के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण है। जैसे कि यह भारत में एक प्रमुख चिंता का क्षेत्र है। हालांकि वर्तमान में शिक्षा, शिक्षा में एक प्राथमिकता क्षेत्र है, यह क्षेत्र शैक्षिक अनुसंधान में उपेक्षित रह गया है। विशेष रूप से सामाजिक-आर्थिक स्थिति (एसईएस), वर्ग आकार और उपलब्धियों जैसे अन्य चर के संबंध में महाविद्यालयों इनपुट का क्षेत्र भारत में बड़े पैमाने पर शोध नहीं किया गया है। विकसित देशों में अच्छी संख्या में अनुभवजन्य अध्ययन में आयोजित किए गए हैं मंच। शिक्षक की प्रभावशीलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि वह (शिक्षक) अपने शिक्षण व्यवसाय में किस सीमा तक सन्तुष्ट है क्योंकि एक सन्तुष्ट शिक्षक ही अपने विद्यार्थियों व समाज के प्रति न्याय कर सकता है कोई भी शिक्षा संस्था अपने उद्देश्यों को तभी प्राप्त कर सकती है जब वहाँ पर चरित्रवान, निष्ठावान, समर्पित और सन्तुष्ट शिक्षक कार्यरत हों, सन्तुष्ट शिक्षक से अभिप्राय ऐसे शिक्षकों से है जो अपनी योग्यताओं के आधार पर शिक्षण व्यवसाय से सम्बन्धित परिस्थितियों व सुविधाओं को प्राप्त करने के कारण शिक्षण कार्य में सन्तुष्टिआनन्द का अनुभव करते हैं। यह सामान्यतः विश्वास किया जाता है कि कार्य से सन्तुष्ट व्यक्ति अधिक उन्नतिशील होता है और अपने कार्य में निरन्तर प्रगति करता है। मनोवैज्ञानिकों ने इस तथ्य को माना व इसकी खोज की है कि जो व्यक्ति अपने कार्य से ङ्केप्रसन्न एवं सन्तुष्ट होदा है। यह एक बड़ा सत्पादनका हास है। शिक्षा के कृत्य सन्तोष से अनेक कारक सम्बन्धित होते हैं।

KEYWORD

शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण, महाविद्यालय, राष्ट्रीय विकास, शैक्षिक अनुसंधान, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षक की प्रभावशीलता, सन्तुष्ट शिक्षक, व्यक्तिगत उन्नति, मनोवैज्ञानिक खोज