बनारस की लोक कला धर्म एवं संस्कृति के परिपेक्ष्य में
बनारस की लोक कला और संस्कृति: एक परिपेक्ष्य
by Prashant Kumar Vishwakarma*, Dr. Nivedita Chaubey,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 19, Issue No. 4, Jul 2022, Pages 664 - 667 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
लोक चित्रकला के रूप में शैलीगत परिवर्तन बहुत कम और अत्यन्त धीरे धीरे होता है। लोक कला का मूल धर्म है। इष्ट देवता की पूजा के लिए उनके द्वारा बनाई गयी मिट्टी की आकृतियाँ पर्वों या त्यौहारों पर घर के लोगों द्वारा आम के पत्तों से बन्दनवार और तरह-तरह के फूलों से की जाने वाली घर की सजावट उनके कलात्मक पक्ष की ओर सकेंत करते हैं। लोक चित्रों में कोहबर, नागपंचमी, गोधना, चैक पूरना, हाथ का थापा, दीपावली आदि प्रमुख है। बनारस के इतिहास में वैदिक विश्वासांे के साथ-साथ नाग और यक्ष पूजा का बोलबाला देखते हैं। भारत वर्ष में काशी को ही सर्वाधिक पवित्र हिन्दू माना जाता रहा है। और यहां की तीन मान्यता प्रमुख है।
KEYWORD
बनारस, लोक कला, धर्म, संस्कृति, पूजा, मिट्टी, त्यौहार, कलात्मक पक्ष, काशी, तीन मान्यता