नागार्जुन के लोक कथा साहित्य में जीवन तत्व एवं लोक परम्परा का अध्ययन

A Study of Life Elements and Folk Traditions in the Folk Literature of Nagarjuna

by अंजलि श्योकंद*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 19, Issue No. 5, Oct 2022, Pages 289 - 292 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

नागार्जुन के कथा साहित्य में लोकतत्व जैसे विषय का वर्णन अत्यन्त ही विस्ततृ है। जिसमें कहीं उनकी लोक चेतना है जो मजदूर एंव सर्वहारा वर्ण के संघर्ष के साथ दिखाई पड़ती है तो कहीं साधारण लोगों की निष्ठा, ईमानदारी और लगन के प्रतीक रूप मे नागार्जुन का लोक जीवन उनकी रचनाओं में कुलीन किन्तु दरिद्र ब्राह्मण, जमींदार, मजदूर, मछुआरों और विधवाओं के जीवन के रूप में चित्रित हुआ है जिसमें उनका सामाजिक परिवेश भी समाहित है। लोकतत्व के अधीन नागार्जुन ने लोक प्रकृति की भी चर्चा की है जिसमें मिथिला की माटी की सुगंध है तो धान और सरसों की लहलहाती फसल थी, पोखर और मैदान है तो बाँस की झुरमुट और आम के बगीचे भी कुल मिलाकर प्राकृतिक सौन्दर्य की बेमिशाल तस्वीर है। लोक भाषा एवं लोक साहित्य के अन्तर्गत नागार्जुन ने गा्रमीण अंचल के अनुरूप अपनी सशक्त भाषा एवं साहितय का परिचय दिया है। नागार्जुन ने अपनी कथाओं के सहारे लोक संस्कृति का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करते हुए खान-पान संबंधी विवरण देकर अपनी रचनाओं के लोकतत्व के समस्त गुणों से संम्पृक्त किया है।

KEYWORD

नागार्जुन, लोक कथा साहित्य, जीवन तत्व, लोक परम्परा, लोक चेतना, निष्ठा, ईमानदारी, लगन, सामाजिक परिवेश, लोक प्रकृति