उच्च माध्यमिक स्तर के छात्र-छात्रओं के जीवन कौशल का तुलनात्मक अध्यययन करना

भारतीय शिक्षा पद्धति और छात्रों का विकास

by नेहा शर्मा*, डॉ. सविता गुप्ता,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 19, Issue No. 5, Oct 2022, Pages 305 - 309 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

भारत विविधता में एकता रखने वाला देश है जहां पर अलग-अलग जाति के समाज पाए जाते हैं जैसे जलवायु के आधार पर जनसंख्या के आधार पर भौगोलिक बनावट के आधार पर प्रजाति इतिहास राजनीति भाषा व सामाजिक व्यवस्था आदि विभिन्न दाएं पाई जाती है। इसका क्षेत्रफल काफी फैला हुआ है जनसंख्या की दृष्टि से भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का क्षेत्रफल सातवें स्थान पर है। प्राचीन काल से ही भारत भारत के लोगों के द्वारा ज्ञान का संग्रहण किया जाता रहा है पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत के रूप में लोगों को वही संस्कार दिए जाते हैं जो उनके परंपरागत होते हैं तथा वह कुछ स्वयं के द्वारा अर्जित भी करते हैं । संस्कारों की इसी श्रंखला को शिक्षा के नाम से जाना जाता है जिसके द्वारा मनुष्य अपनी मानसिक आध्यात्मिक सामाजिक राजनीतिक प्रगति करता है शिक्षा ने मानव को सभी प्रकार के जीवो में श्रेष्ठ बनाया है और संपूर्ण बनाया है शिक्षा के अभाव में मानव एक पशु तुल्य माना जाता है अतः शिक्षा ज्ञान और विज्ञान दोनों का अभाव होगा तो मनुष्य एक जानवर के समान प्रतीत होगा। आदि काल में समाजों में अनौपचारिक रूप से शिक्षा प्रदान की जाती थी जैसे परिवार के द्वारा क्रीडा समूह के द्वारा व्यवसाय और जातिगत समूह के द्वारा इत्यादि परंतु वर्तमान युग में शिक्षा शिक्षण संस्थाओं के द्वारा जैसे विश्वविद्यालय स्कूल कॉलेज आदि के द्वारा औपचारिक रूप से शिक्षा प्रदान की जाती है।

KEYWORD

उच्च माध्यमिक स्तर, छात्र-छात्रओं, जीवन कौशल, भारत विविधता, भौगोलिक बनावट, प्रजाति, इतिहास, राजनीति, भाषा, सामाजिक व्यवस्था