तलाकशुदा महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक और मानसिक स्थिति का विश्लेषण
An analysis of the social, economic, and mental condition of divorced women in urban and rural areas in modern Indian society
by डॉ. नन्द किशोर कुमावत*, चित्रा चन्द्रावत,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 19, Issue No. 6, Dec 2022, Pages 484 - 487 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
आधुनिक भारतीय समाज में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में महिलाओं की रोजगार दर बढ़ रही है। तलाक की दर महिलाओं के रोजगार की दर के समानांतर बढ़ रही है। शहरी क्षेत्र में महिला रोजगार दर अधिक है और ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में शहरी क्षेत्रों में तलाक की दर भी अधिक है। तलाकशुदा शब्द अपने आप में अपमानजनक और दर्दनाक है। बढ़ती तलाक दर से अकेलापन बढ़ सकता है और अकेलापन आत्महत्या दर बढ़ा सकता है। आधुनिक दुनिया में समाज के हर वर्ग की सबसे बड़ी समस्या यह है कि अधिकार की बात तो सभी करते हैं, लेकिन कर्तव्य की बात कोई नहीं करता। मानव सभ्यता के सभी चरणों में तलाक एक सामाजिक बुराई के रूप में देखा गया। दूसरी ओर, आधुनिक समाज में शिक्षित और अशिक्षित दोनों वर्ग अभी भी तलाक को एक सामाजिक बुराई के रूप में देखते हैं। वर्तमान अध्ययन द्वितीयक व प्राथमिक तथ्यों के आधार पर तलाक के कारणों और परिणामों को जानने का प्रयास किया गया है।
KEYWORD
तलाकशुदा, महिलाओं, सामाजिक-आर्थिक, मानसिक स्थिति, रोजगार दर, शहरी क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र, अकेलापन, आत्महत्या, अधिकार, कर्तव्य, तलाक, समाजिक बुराई, शिक्षित, अशिक्षित, कारण, परिणाम, अध्ययन, प्रयास