डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् के शैक्षिक विचारों की वर्तमान सन्दर्भ में उसकी प्रासंगिकता
Relevance of Dr. Sarvepalli Radhakrishnan's Educational Ideas in Current Context
by सत्येन्द्र कुमार गौड*, डॉ. निर्मला राठौड,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 20, Issue No. 1, Jan 2023, Pages 104 - 109 (6)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
मनुष्य की अन्य प्राणियों से भिन्नता का आधार उसे प्राप्त प्रकृति का वरदान है ‘‘मनुष्य की जिज्ञासा’’ तथा अपने अनुभवों को सुरक्षित रखने तथा उसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाने की क्षमता रखता हैं। जहाँ अन्य प्राणी नये सिरे से ज्ञार्नाजन करते हैं, वहाँ मनुष्य अपने ज्ञान को विस्तार देने हेतु अपने पूर्वजों के ज्ञान का सहारा लेकर निरन्तर प्रगति की ओर बढ़ता जाता हैं। उसकी इस प्रगति का मूल कारण उसकी ‘जिज्ञासा’ हैं। वह सदैव अपने वातावरण को जिज्ञासा की दृष्टि से देखता हैं और निरन्तर पूर्व ज्ञान से आगे नवीन ज्ञान की ओर अग्रसर होता हैं। मनुष्य की उक्त प्रवृति जितनी अधिक अनुसंधान के क्षेत्र में सत्य प्रतीत होती है उतनी अन्य क्षेत्र में नहीं। संबंधित साहित्य का अध्ययन शोधकर्ता को नवीनतम ज्ञान के शिखरों पर ले जाता हैं, जहाँ उसे अपने क्षेत्र से संबंधित निष्कर्षो एवं परिणामों का मूल्यांकन करने का अवसर प्राप्त होता है तथा यह ज्ञात होता हैं कि ज्ञान के क्षेत्र में कहाँ रिक्तियाँ हैं, निष्कर्ष-विरोध है, अनुसंधान चाहे किसी भी क्षेत्र का हो, उसका लक्ष्य सम्बन्धित क्षेत्र में अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर खोजना, वर्तमान समस्याओं का समाधान खोजना, विरोधी सिद्धान्तों की सत्यता को परखना, नवीन प्रवृत्तियों एवं तथ्यों की खोज करना, जीवन एवं उसके परिवेश से संबंधित अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना आदि होता हैं। मानव ही एक ऐसा प्राणी है जो सदियों से एकत्र किए गए ज्ञान का लाभ उठा सकता है। मानव ज्ञान के तीन पक्ष होते हैं - ज्ञान एकत्र करना, दूसरे तक पहुँचाना और ज्ञान में वृद्धि करना। यह तथ्य शोध में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है जो वास्तविकता को समीप लाने के लिए निरंतर प्रयास करता रहता है। साहित्य का पूरा अवलोकन प्रत्येक अनुसंधान की प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। बिना पुनरावलोकन किए अनुसंधानकत्र्ता दिशाहीन होता है। वस्तुतः साहित्य पुनरावलोकन एक कठोर परिश्रम का कार्य है।
KEYWORD
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्, शैक्षिक विचार, जिज्ञासा, सत्य, नवीनतम ज्ञान, प्रवृत्तियों, मानवीय ज्ञान, शोध में महत्त्व, साहित्य, पुनरावलोकन