भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र की समस्याओं और संभावनाओं पर एक विश्लेषण

भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र: समस्याएं और संभावनाएं

by Prashant Kumar Vishwakarma*, Dr. Nivedita Chaubey,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 20, Issue No. 1, Jan 2023, Pages 365 - 372 (8)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

भारत के हस्तशिल्प कारीगर, शिल्प कौशल की पूर्णता, डिजाइन और रूप की उत्कृष्टता और रंग की एक नायाब भावना के लिए जाने जाते हैं। पूर्व-प्रमुख कृषि समाज में शिल्पकार की स्थिति महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ग्राम समाज को आत्मनिर्भर बनाता है। यह क्षेत्र ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में शिल्पकारों के एक विशाल वर्ग को रोजगार प्रदान करता है और अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उत्पन्न करता है। यह क्षेत्र असंगठित होने, शिक्षा की कमी, कम पूंजी, नई प्रौद्योगिकियों के खराब प्रदर्शन, बाजार खुफिया की अनुपस्थिति और खराब संस्थागत ढांचे की अतिरिक्त बाधाओं से पीड़ित है। कारीगर अपनी निरक्षरता, अज्ञानता और गरीबी के कारण तैयार उत्पादों के लिए कच्चे माल, वित्त और बाजार के लिए बिचैलियों पर निर्भर हैं। हस्तशिल्प की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि कारीगर उपभोक्ताओं की पसंद और वरीयताओं को ध्यान में रखते हुए वस्तुओं का उत्पादन कितनी अच्छी तरह कर सकते हैं।

KEYWORD

भारतीय हस्तशिल्प, समस्याएं, संभावनाएं, हस्तशिल्प कारीगर, शिल्प कौशल, डिजाइन, रंग, रोजगार, संस्कृतिक विरासत, असंगठित, आर्थिक समस्याएं