वैश्विक पटल पर हिन्दी साहित्य

हिन्दी साहित्य: विश्व में भाषा और सांस्कृतिक विरासत

by मंजूलता सराठे*, डॉ. पूर्णिमा चौधरी,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 20, Issue No. 2, Apr 2023, Pages 378 - 380 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

आधुनिक युग में विश्‍व स्तर पर हमारी हिन्दी भाषा का परचम लहरा रहा है। क्योंकि विश्‍व में 132 देशों में भारतीय नागरिक उपस्थित हैं। लगभग 2 करोड़ लोग भारतीय मूल के विदेशों में अपना सारा कार्य हिन्दी माध्यम से ही निष्पादित करते है अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि 132 देशों में भारत के लोग बसे हुए है और वे सभी अपना काम-काज हिन्दी के माध्यम से ही करते हैं। साथ ही हिन्दी साहित्य का अपना महत्वपूर्ण समृद्ध इतिहास विद्यमान है। हिन्दी साहित्य ने ही विश्‍व साहित्य में कई तरह से महत्वपूर्ण अपनी भागीदारी साझा की है। हिन्दी साहित्य विविधता में एकता दर्शाने का कार्य भी करती है। क्योंकि भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है यहॉं विविध प्रकार के धर्म तथा संस्कृति विद्यमान है इसलिए यह कहा भी जाता है कि चार कोस पे पानी बदले आठ कोस पे वाणी हिन्दी साहित्य देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने-सवारने, संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, एक साधन है। आज समस्त विश्‍व में हिन्दी भाषा को बोलने-समझने एवं लिखने-पढ़ने वाले लोग रहते हैं। आज के दौर में अब इंटरनेट पर भी देव नागरी लिपि उपलब्ध है। 132 देषों में हिन्दी भाषा में कार्य किया जाता है। लोक-व्यवहार संस्कार-संस्कृति, व्यापारिक, धार्मिक तथा राजनैतिक व्यवहार के लिए हिन्दी भाषा को ही चुना जाता है या आप कह सकते है कि हिन्दी ही ऐसी भाषा है जो सफलतापूर्वक आदान-प्रदान की भाषा रूप रखती है।

KEYWORD

वैश्विक पटल, हिन्दी साहित्य, भाषा, विदेश, महत्वपूर्ण समृद्ध इतिहास, विविधता, धर्म-निरपेक्ष देश, सांस्कृतिक विरासत, इंटरनेट, लोक-व्यवहार