समलैंगिकता पर समाज, अपराध और कानून के प्रभाव का विश्लेषण
by सुरभि गोस्वामी*, डॉ. रुचि .,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 20, Issue No. 2, Apr 2023, Pages 398 - 403 (6)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
समलैंगिकता कई वर्षों से बहस का विषय रही है, तर्क के दोनों पक्षों के लोग अपने मामले बना रहे हैं। हाल के महीनों में, उच्च न्यायालय ने भारत में समलैंगिक समुदाय के अधिकारों को स्वीकार करने और उनकी रक्षा करने का निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि समलैंगिक यौन संबंध अब भारत में अपराध नहीं है, जो एक बड़ा कदम है। उच्च न्यायालय ने 6 सितंबर को समलैंगिकता पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया, इसलिए याद रखें कि समलैंगिक समुदाय के लिए यह एक बड़ी प्रगति है। समलैंगिक सम्बन्धों के प्रति आकर्षण भी बढ रहा है। लैंगिक उन्मुखीकरण अन्य व्यक्ति के प्रति एक स्थायी, भावनात्मक, रोमांटिक यौन या स्नेही आकर्षण है। इसे जैविक यौन सम्बन्ध, लिंग पहचान सहित लैंगिकता के अन्य पहलूओं से अलग किया जा सकता है। यह भावनाओं, आत्मअवधारणा को संदर्भित करती है। इसलिए यह यौन व्यवहार से भिन्न है। समलैंगिकता हमारे बीच एक सामाजिक समस्या के रूप में प्राचीन काल से विद्यमान रही है, किन्तु भारतीय समाज में इन सम्बन्धों को कभी खुले तौर पर सामाजिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया। एलजीबीटी (गे, लेस्बियन) समुदाय समाज में हीन भावना, पोषण, बुरे व्यवहारों के समाज के तिरस्कारों, अपमानों से ग्रस्त है, किन्तु समलैंगिक सम्बन्ध अपराध नहीं मानवाधिकार, जीवन जीने का एक अधिकार है। यह लेख समलैंगिक सम्बन्धों के ऐसे ही कुछ पक्षों का चित्रण हैं
KEYWORD
समलैंगिकता, सामाजिक समस्या, समलैंगिक समुदाय, अपराध, न्यायालय, संबंध, यौन संबंध, लैंगिकता, गे