कृषि विकास (कृषि विकास प्रसंस्करण उद्योग का प्रभाव)एंव पर्यावरण प्रदूषण: विदिशा जिले का एक अध्ययन

विदिशा जिले में कृषि विकास एवं पर्यावरण प्रदूषण: एक अध्ययन

by रमा शंकर शर्मा*, डॉ. स्वाति जैन,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 20, Issue No. 2, Apr 2023, Pages 410 - 413 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

प्रस्तुत शोध पत्र विदिशा जिलें मे कृषि विकास एंव पर्यावरण से सम्बन्धित है। अध्ययन क्षेत्र मुख्यतः प्रवाह प्रणाली में वेतवा के अनुकुल उतर-पूर्व दिशा में प्रवाहित पष्चिम से दक्षिण होने वाली नदियों द्वारा निर्मित मैदान के उपजाऊ भूभाग में होने के कारण जनपद में उपजाऊ एंव जलोढ मिट्टी पायी जाती है। प्राचीन समय में कृषि परम्परागत यंत्रो से की जाती थी, जिसमें समय अधिक लगता था, लेकिन किसी प्रकार की पर्यावरणीय या पारिस्थितिकी की समस्या उत्पत्र नही होती थी। परंतु जनसंख्या की अतिषय वृद्वि के साथ साथ खाद्यात्र की समस्या भी उत्पत्र होने लगी, जिससे कृषि में अधिक उत्पादन हेतु नये नये प्रयोग किये जाने लगे। जिसका प्रभाव हमारे पर्यावरण और परिस्थितिकी असंतुलन की समस्या उत्पत्र होती जा रही है, जिसके अन्तर्गत कृषक अपने खेत में जैविक एवं अजैविक घटकों (पर्यावरण) में संतुलन रखने हुए कृषि कार्य करता है। खेत स्वंय एक पूर्ण परिस्थिति की तेंत्र है। खेत में पौधें, जीवागु, कवक,जीवजन्तु जैव कारक है एंव खनिज,लवण,प्राकृतिक एंव कृत्रिम खाद तथा अन्य रसायन अजैविक घटक है। ये दोनो घटक परस्पर प्रति क्रिया करते हैं एवं जब इसकी मात्रा अधिक हो जाती है तो कृषि भूमि प्रदूषित होने लगती है। वर्तमान समय में नये नये प्रयोग से इसमें और वृद्धि हुई है।

KEYWORD

कृषि विकास, प्रसंस्करण उद्योग, पर्यावरण प्रदूषण, विदिशा जिला, खेत