यकृत विकार का आयुर्वेद प्रबंधन

यकृत विकार के आयुर्वेदिक प्रबंधन में प्राकृतिक उपाय और औषधियों का महत्व

by आचार्य मनीष जी*, डॉ. अभिषेक ., डॉ. गितिका चौधरी, डॉ. जयंत बत्रा,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 20, Issue No. 2, Apr 2023, Pages 532 - 536 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

आयुर्वेदिक प्रबंधन में यकृत के विकारों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। यकृत विकारों के लिए आयुर्वेद चिकित्सा एक संपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करती है, जिसमें आहार, औषधि, प्राकृतिक उपचार और योग का संयोजन शामिल होता है। इसमें यकृत की सार्विक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक उपायों का उपयोग किया जाता है, और रोग के लक्षणों को सुधारने के लिए विशेष आहार और औषधियों का सुझाव दिया जाता है। यकृत रोगों के आयुर्वेदिक प्रबंधन का उद्देश्य यकृत विकारोकी चिकित्सा करने पूर्व वैद्य को यह आयुर्वेदीक शास्त्र और आधुनिक शास्त्रद्वारा यकृतकी संरचना, क्रिया और वैषम्यात्मक बदलाव को समझ लेना यही है और इससे यकृत की स्वास्थ्य एवं कार्यक्षमता को बनाए रखना और रोगों के उपचार के माध्यम से स्वास्थ्य को सुधारना यह है

KEYWORD

यकृत विकार, आयुर्वेद प्रबंधन, आहार, औषधि, प्राकृतिक उपचार, योग, प्राकृतिक उपाय, आहार और औषधि, यकृत रोग, वैद्य