अन्तर्राष्ट्रीय विधि के अन्तर्गत ‘‘युद्ध की अवधारणा’’: मानवाधिकार के संदर्भ में

Exploring the Concept of 'War' within the Framework of International Law and its Relation to Human Rights

by डॉ. शिव शंकर सिंह*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 20, Issue No. 3, Jul 2023, Pages 248 - 252 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

इस शोध पत्र के अंतर्गत माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कथन है कि ”आज का युग युद्ध का नहीं बल्कि बुद्ध का है” ऐसा कथन उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिया थ। इसी कथन के आलोक में अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत युद्ध की अवधारणा का अध्ययन मानवीय विधि के संदर्भ में किया गया है। चुंकि मानवीय विधिए मानवाधिकार विधि की एक शाखा हैए इसीलिए इसका व्यापक रूप से अध्ययन मानवाधिकार विधि के संदर्भ में किया गया है। सन 261 ईसवी पूर्व महान सम्राट अशोक के द्वारा कलिंग विजय के उपरांत युद्ध के भीषणए खतरनाकए दुखद परिणाम को देखकर ”धर्म विजय” की नीति अपनाने को प्रेरित हुए। जिनका वर्णन महान सम्राट अशोक ने अपने तेरहवें शिलालेख में किया है। अशोक ने अपने ”धर्म विजय” का सिद्धांत धार्मिक शिक्षा न होकर बल्कि एक सामाजिकए मानवीय और नैतिक नियमों का दस्तावेज है। ”धर्म विजय” का सिद्धांत, मानवतावादी सिद्धांत पर आधारित था। यही सिद्धांत आगे चलकर अंतरराष्ट्रीय मानववादी सिद्धांत के लिए प्रेरणा स्रोत बने होंगे। इस शोध पत्र के अंतर्गत यह प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है कि युद्ध कुछ नहीं हैए बल्कि मानवीय विधि के उल्लंघन की जननी है। चूंकि मानवीय विधि मानवाधिकार विधि की एक शाखा है। इसीलिए युद्ध मानवाधिकार विधि का प्रबल विरोधी है। अतः राज्य पछकारो को अपनी विवादों का समाधान मानवाधिकार विधि को ध्या में रखकर करना चाहिए ना की युद्ध के माध्यम से करना चाहिए

KEYWORD

अंतर्राष्ट्रीय विधि, युद्ध, मानवाधिकार, अवधारणा, मानवीय विधि