राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा संस्थाओं की समस्याओं का समाधान (एक अध्ययन)
 
डॉ. स्वाती शुक्ला1*, प्रिया द्विवेदी2
1 अतिथि विद्वान (इतिहास), शासकीय महाविद्यालय वेंकटनगर, अनूपपुर, मध्यप्रदेश
ईमेल - swatiprabhav2012@gmail.com
2 अतिथि विद्वान (राजनीति विज्ञान), एपीएसयू, रीवा, मध्यप्रदेश
ईमेल - priyadwivedi7566@gmail.com
सारांश - इस शोधपत्र का उद्देश्य भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानो की समस्याऍ एवं नई शिक्षा नीति 2020 के से है। जिसमें नई शिक्षा 2020 की विशेषताओं का विश्लेषण नई शिक्षा नीति से उनका समाधान किस प्रकार हो इस शिक्षा नीति के अन्तर्गत सम्पूर्ण भारत में एक शिक्षा प्रणाली (शिक्षा के एक रूपता) की परिकल्पना की गई है। यह नीति भारतीय संस्कृति परम्परा नैतिक मूल्य एंव लोकाचार के साथ वैज्ञानिक दृष्टि लाने में अपना बहूमूल्य योगदान प्रदान करेगी। इसका उद्देश्य बिना किसी के प्रत्येक वर्ग के लोगो को विकास के समान अवसर देनला है तथा आत्म सृजन के साथ ज्ञान और कौशल दोनो को विकसित करना है। शोध पत्र के उच्च शिक्षा संस्थाओं की समस्यओं को भी इंगित किया तथा सुझाव को भी प्रस्तुत किया है जो भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए उपयोगी है।
कीवर्ड - राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उच्च शिक्षा संस्थाओं, समस्याओं, समाधान
प्रस्तावना
मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ शिक्षा के विकास को क्रम भी निरंतर चला आ रहा है। भारतीय शिक्षा प्रणाली दो प्रकार की शिक्षा पद्धाति पर आधारित ही है। प्रथम मूल्यों की शिक्षा तथा दूसरी मूल्यपरक शिक्षा।
महान वैज्ञानिक आस्टिन का कथन ‘‘हर व्यक्ति जिससे मैं मिलता हॅू वह किसी न किसी बात पर मुझसे श्रेष्ठ है।‘‘ शिक्षा के बहुआयामी होने का द्योतक है।‘‘ यदि भारतीय शिक्षा पद्धाति के विकास का अध्ययन किया जाए तो विभिन्न कालो में इसका रूसमय के अनुरूप परिवर्तित हुआ है। नई शिक्षा नीति 2020 भी इसी का परिणाम है। इसे पिछली शिक्षा नीति 1986 की जगह लागू किया गया है। जुलाई 2020 को भारत के केन्द्रीय मंत्री मण्डल द्वारा अनुमोदित किया गया है।
यह नीति प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए उपरेखा तैयार करती है। प्राथमिक शिक्षा का पुराना माडल 10+2 छोड़ कर 5+3+3+3+3 फामूर्ला लाया गया है जिसमें प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में नए-नए आयाम है। इसमें यह परिकल्पना की गई है कि हमारे संस्थाओं में समान पाठ्यक्रम के साथ शिक्षा शास्त्र को मौलिक कर्तव्यों के प्रति सम्मान भावना संवैधानिक मूल्यों अपने देश और बदलती दुनिया के साथ सामांजस्य स्थापित करना। इसका दृष्टिकोण शिक्षार्थियों में ज्ञान कौशल में वृद्धि करना है। विद्यार्थी इस बात के लिए बिल्कुल स्वतंत्र है कि उन्हे क्या पढ़ना है। नई शिक्षा नीति वर्तमान शिक्षा प्रणाली में मौलिक परिवर्तन लाती है इसमें मुख्य बहु विषयक विश्वविद्यालय और कालेज है जिसमें प्रत्येक जिले में कम से कम एक छात्र पाठ्यक्रम शिक्षा और शास्त्र बेहतर छात्र अनुभव के लिए मूल्यांकन और समर्थन एक महत्वपूर्ण प्रतिपष्ठान शामिल है। यह शिक्षा नीति बहनीयता, अभिगम्यता, गुणवक्ता, न्याय परस्ता और जवाबदेही पच स्तंभो पर आधारित है।
इस शिक्षा नीति की सहयता से उच्च शिक्षा संस्थानों की समस्यओं को किस प्रकार से ठीक किया जा सकता है। शोधक्षेत्र में इसी प्रासंगिकता को विषय बना गया है।
अध्ययन का उद्देष्य
उच्च शिक्षा संस्थाओं की समस्याए एवं नवीन शिक्षा नीति 2020 पर प्रकाश डालना।
उच्च शिक्षा संस्थाओं की समस्याएं
नई शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा की विशेषताऍ समस्याओं का निदान।
शोधपत्र क्रियाविधि
शोधपत्र के अध्ययन में विश्लेषणात्मक अलोचनात्मक, व्याख्यात्मक,वर्णनात्मक, मूल्यांकनात्मक विधियों के द्वारा प्राथमिक, माध्यमिक द्वितीयक स्त्रोताऐ उच्च शिक्षा के एवं शिक्षण संस्थाओं के संदर्भ में इसकी भूमिका का अध्ययन।
प्राथमिक स्त्रोत
प्राथमिक स्त्रोत नई शिक्षा नीति के मूल पाठ से लिया गया है जो भारत सरकार द्वारा जारी है।
माध्यमिक स्त्रोत के अन्तर्गत नई शिक्षा नीति 2020 पर संदर्भ पुस्तको सहित माध्यमिक स्त्रोतो के जीवनी लेखक के कार्यो के महत्वपूर्ण अध्ययन शोधपत्र, शोध प्रदेय शोध पुस्तके व्यक्तिगत साक्षात्कार, विकिपीडिया,ब्रिटानिकार और बेवसाइट शामिल है।
अध्ययन का महत्व नई शिक्षा नीति 2020 उच्च के माध्यम से उच्च शिक्षा का उन्नयन एवं संस्थाओं की समस्याओं का निराकरण का प्रयास जिसमें नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार उच्च शिक्षा के सुधारो को समझने में मदद करेगा।
साहित्य समीक्षा
नई शिक्षा नीति 2020 और उच्च शिक्षा संबंधी अनेक शोधपत्र एवं पत्रिकांए प्रकाशित हुई है। जिसमें विभिन्न लेखको ने अपने विचार प्रस्तुत किए है जिसमें डॉ. लाल, जैन एवं डॉ. के.सी. विशिष्ठ, पी.एस. ऐथल, शुभ्रस्योस्तना एथेल, डॉ. विरेन्द्र सिंह शोधपत्र इत्यादि शामिल परन्तु दोनो उच्च शिक्षा संस्थाए एवं नीति को एक साथ अध्ययन में शामिल कर उच्च शिक्षा संस्थाओं की संस्थाओं की समस्यओं पर प्रकाश डालते हुए इस दिशा में प्रयास किया गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ऐसे संस्थाओं के लिए किस प्रकार इनकी कर्पोरेटर को बदलने में सहायक हो सकती है।
उच्च शिक्षा संस्थाओं की समस्याऍ
वर्तमान भारतीय परिवेश में 1000 से अधिक उच्च शिक्षण संस्थाए शामिल है जिसमें 150 में से अधिक वैज्ञानिक अनुसंधान क्रेड भी है इन संस्थाओं न पिछले दशको में शोधो की संख्या और उनकी गुणवत्ता में लगातार वृद्धि प्रदर्शित की है। वर्तमान में भारत शोध प्रकाशनो के मान्यते में तीसरे स्थान पर है कुल शोध प्रकाशनों में इसकी हिस्सेदारी 5.31प्रतिशत है। यदि शिक्षा सृजन, अनुसंधान विकास और नवाचार की बात की जाए दो पहलुओं में इसका प्रदर्शन उच्च शिक्षा संस्थानों ने सापेक्षिक रूप से प्रगतिशील किया है। लेकिन नवाचार के मामले में पीछे है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति से वे अपेक्षित है कि यह उच्च शिक्षा संस्थाओं की समस्या की तलाश में, समाधान के बजाए संस्थाओं के समधान पर कार्य करने के लिए प्रेरित कर भारत में उच्च शिक्षा के परिदृष्य को रूपांतरित कर दे।
उच्च शिक्षा संस्थाओं के आधारभूत संरचना एवं बेहतर बुनियादी ढॉचा एक चुनौती है भौतिक सुविधाओं में स्थिती अच्छी नही है। प्राध्यापको की कभी राज्य शिक्षा प्रणाली की असमानता ने कई वर्षो से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के मार्ग में चुनौतियां खडी की है। उच्च शिक्षा में अध्यापक रिक्तियों के बावजूद नेट पी.एच.डी उम्मीदवार बेरोजगार है। शोध अनुसंधान पर पर्याप्त ध्यान नही दिया जा रहा है। संशोधन एंव सुविधाओं की कभी छात्रो के मार्गदर्शन हेतु प्राध्यापको की संस्था सीमित है। फेलोशिप की कभी जो छात्रो को शोध करने के कोड आती है अनुसंधानो फेडो और उद्योगो के साथ भारतीयों उच्च शिक्षा संस्थाओं का समन्वय कमजोर है। क्मजोर शासन संरचना भारतीय शिक्षा प्रबंधन अति केन्द्रीकरण, नौकरशाही संरचनाओं और उत्तरदायित्व पारदर्शिता एवं व्यावसायिकता की चुनौतियों का सामना करना है। उच्च शिक्षा के प्रावधान में राजनेताओं का बढ़ता दखल उच्च शिक्षा संस्थाओं की स्वायतंत्र को खसरे में डालता है। विभिन्न अभिमानो में संलग्न छात्र शिक्षा संबंधो उद्देश्य भूल कर राजनीति के कैरियर ढूढने लगते है। शिक्षा में गुणवत्ता सूनिश्चित करना वर्तमान की सहसे बड़ी चुनौती है भारत में बड़ी संख्या के पेज UGC द्व ारा निर्धारित इनकम शर्तो को पूरा नही करते । उच्च शिक्षा पर भारतीय सर्वेक्षण रिपोर्ट 1920 के अनुसार सफल नामांकन अनुपात आज 27% है जो विकसित देशो के साथ विकासशील देशो की तुलना में बहुत किया। विद्यालय स्तर पर नामांकन में वृद्धि उच्च शिक्षा संस्थाओं की आपूर्ति देश में शिक्षा की बढ़ती मोड को पूरा करने में अपर्याप्त है।
उच्च शिक्षा संस्थाओं के सदंर्भ में नई शिक्षा नीति की संभावनाए:- राष्ट्रीय अनुसंधान फोउडेशन की स्थापना के बाद शिक्षा जगत को मंत्रालयों और उद्ययोगो के साथ संयुक्त किया जा सकेगा तथा स्थानीय आवश्यकताओं के लिए अनुसंधान पर वित्तीय संरक्षण होगां जिसमें प्रत्येक सरकारी मंत्रालय केन्द्रीय या राज्य मंत्रालय हो द्वारा अनुसंधान के लिए अलग- अलग वित अन्तरित करेगा।
NRF शोधकर्ताओं के समक्ष सुपरिभाषित समस्याऍ लाएगा ताकि वे तथ्य निर्धारित समक्ष तरीके से कम करे।
उच्च शिक्षा संस्थाओं के प्रोदयोगि विकास को बढ़ाने के लिए बहुविषयक बनाने की आवश्यकता है बाल्कि ऊपरी सहयोग भी आपेक्षित है।
नई शिक्षा नीति द्वारा परिकल्पित बहू विषयक वि.पि. शोधकर्ताओं की रचनात्मक क्षमता को विकसित करने में सहायक होगे।
नई शिक्षा नीति के द्वारा वर्ष 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (GER) को मौजूद 27% से बढा कर 50% करने के लक्ष्य के साथ भारत को न केवल नए उच्च शिक्षा संस्थान और विश्वविद्यालय खोलने होगे बल्कि मौजूद उच्च शिक्षा संस्थानो का उन्नयन भी करना होगा।
इसके लिए वित्तीय संस्थानो की आवश्यकता के साथ एक नए शासन माडल की भी आवश्यकता होगी।
NEP उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये श्रेणीबद्ध स्वायतंत्र प्राप्त करने की अनुमति देता है जिस समय के साथ सतंत्र बोर्ड पूर्ण छात्रो एवं शिक्षा क्षेत्र, अनुसंधान एवं उद्योग के विशेषज्ञो की सक्रिय भागीदारी के साथ उच्च शिक्षा संस्थानो का प्रबंधन करेगे।
उच्च शिक्षा संस्थानो का वितघोषणा उच्च शिक्षा के लिये पहली बार सरकार ने शिक्षा के मद में सकल घरेलू आवंटन का वादा किया है जो उच्च शिक्षा संस्थानो के लिए परिर्वतन कारी सिद्ध होगा।
NEP 2020 के तहत भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान 315 पर ध्यान केन्द्रित करेगे जो हमारे संस्थानो को वैविक मानको तक ले जाने के तीन आवश्यक स्तंभ है।
अब तक भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानो में अन्तर्राष्ट्रीय विविधता का अभाव रहा है।
NEP तक भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान जैसे भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानो के लिये बाहन निकलने और बिल भर में अंतर्राष्ट्रीय परिसरो की स्थापना कर सकने के तंत्र को समक्ष किया है। इससे ने केवल उनकी अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति में वृद्धि होगी बाल्कि वैश्विक स्तर पर उनके प्रति धारणाओं में भी सुधार होगा।
उच्च शिक्षा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 2030 तक सकल नामांकन अनुपात जीईआर को मौजूदा 27 प्रतिशत से बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने के लिए इनईपी 2020 के कल्पना की गई थी। इसका उद्देश्य मुक्त और दूरस्थ नलाइन शिक्षा और शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढाने के लिए बुनियादी ढाचे को मजबूत करके छात्रो के समग्र व्यक्तित्व को निमार्ण करना है।
देशभर में उच्च शिक्षा संस्थानो के लिए एकल नियामक के रूप में परिकल्पित एक राष्ट्रीय प्रत्यापन परिषद एनएसी की स्थापना की जाएगा। भारतीय उच्च शिक्षा परिषद एच.ई.सी.आई में विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने के लिये कई कार्यक्षेत्र होगे। सभी सरकारी भर्ती परीक्षाओं के लिए एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी और समान स्तर की विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के लिए एक सामान्य पात्रता परीक्षा सीईटी स्थापित करने के प्रयास किए जाएगे।
इसके अलावा विषयों में पाठ्यक्रम और कार्यक्रम जैसे इंडोलाजी,भारतीय, भाषाऍ, चिकित्सा, की आयुष, प्रणाली योगकला,संगीत इतिहास, संस्कृति, और आधुनिक भारत, विज्ञानख् सामाजिक, विज्ञान और उससे आगे के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिकम पाठ्यक्रम सार्थक अवसर वैश्विक गुणवत्ता मानको के इस लाभ को प्राप्त करने के लिए सामाजिक जुडाव, गुणवत्ता आवासीय सुविधाओ और परिसर में समर्थन आदि को बढ़ावा दिया जाएगा।
उच्च शिक्षा के नियामक तंत्र में अन्य प्रमुख कार्यो के बीच एक स्वंतत्र निकाय द्वारा संचारित मान्यता होगी। संस्थानो के पास ओपन डिस्टेस लनिग (ओडीएल) और ऑन लाइन कार्यक्रम चलाने का विकल्प होगा, बशर्ते वे ऐसा करने के लिए मान्यता प्राप्त हो, अपनी पेशकओ को बढ़ाने में सुधार करने जीईआर बढ़ाने और आजीवन सीखने के अवसर प्रदान करने के लिए लर्निग सर्विस प्रेावाइडर की विश्वसनीयता में सुधार के लिए प्रत्यायन योजना को राष्ट्रीय शिक्षा और प्रशिक्षण बोर्ड भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा औद्योगिे संवर्धन और आंतारिक व्यापार विभाग (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत सरकार) के तहत विकसत सकिया गया है। प्रशिक्षकसंकाय आधारभूत संरचनाए कार्यक्रम डिजाइन विकास और वितरण प्रशिक्षण प्रबंध प्रणाली (अभ्यास, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर,ह्यूमनवेयर स्किनकेयर) आदि।
नई शिक्षा नीति में डिजिटलीकरण को अपनाना केन्द्र स्तर पर है इसलिए हमारे नेटवर्क और साइवर स्पेस को सुरक्षित बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस वर्तमान परिदृश्य में यह आवश्यक हो जाता है कि साइबार सुरक्षा लचीलापन क्षमता निर्माण के प्रमुख महत्व दिया जाता है और सीखने की धारा का उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्थापित किए जाने के लिए परिकल्पित एनईटीएफ सही दिशा में एक कदम है। शिक्षण- शिक्षण वितरण के सभी आयामों गुणवत्ता वाले एड- टेक उपकरण शैक्षणिक संस्थानो को जल्दी से अनुकूल करने में मदद करेगे। साइबर सुरक्षा लचीलेपन के साथ ओपन सोर्स डेवलमेंट प्लेटफार्म पर स्वदेशी एडन्टेक टूल को होस्ट करने की आवश्यकता है। प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत गोपनीयता की रक्षा करेगा।
निष्कर्ष
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक अच्छी नीति है क्योंकि यह शिक्षा प्रणाली को समग्र,लचीले बहु विषयक और 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने पर लक्षित है। नीति की मंशा कई मायनों में आदर्श प्रतीत होती है लेकिन निश्चिय ही इसकी सफलता इसके कुशल कार्यन्वयन पर निर्भर होगी। काफी हद तक इस नीति से हमारी उच्च शिक्षा के संस्थानो की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। बहु विषयक संस्थान शुरू करने की नीति कला मानविकी और अन्य सभी क्षेत्रो में क्रेडिट होगी शिक्षा के इस रूप से छात्रो को सीखने और व्यवहारिक रूप् से विकसित होने में मदद मिलेगी।
उपसंहार
इसमें संदेह नही है कि यह नीति भातीय शिक्षा को नवीन उचाइयों तक ले जायेगी। लेकिन हम इसका न्यायपूर्ण आंकलन तब तक नही कर सकते जब तक इसकी सारी योजनाऍ लिखित रूप से सम्पूर्ण राज्यों में क्रियान्वित ना हो जाए। अभी हम केवल परिणामों के प्रति आशान्वित है कि ये छात्रों के समग्र विकास एवं प्रगति के साथ-साथ उच्च शिक्षा संस्थानों के विकास के लिए मजबूत आधार शिला होगी।
संदर्भ ग्रंथ
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