राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
 
सीताराम उइके*
शोधार्थी, अवधेश प्रतापसिंह विश्वविद्यालय रीवा (म0प्र0)
ईमेल - uikey.sitaram82@gmail.com
सरांश - राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित की गई। कोविड-19 के परिस्थितियों के बीच सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक व शिक्षाविद् के कस्तुरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे भारत सरकार में वर्तमान व भावी वैश्विक व राष्ट्रीय आवश्कताओं एवं चुनौतियों के साथ-साथ भारत की नवीन संकल्पनाओं का भी विशेष ध्यान रखा गया है। नीति के विजन,मिशन एवं मूल्य स्पष्ट रूप से नागरिक गढने एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धा के अुनरूप कला, विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में कुशल एवं संवेदनशील युवा वर्ग तैयार करने का मार्ग तैयार करती है। आइये इस आलेख में हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों एवं प्रमुख नीतिगत प्रावधनों को समझने का प्रयास करते हैं।
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प्रस्तावना
रोजगार और वैश्विक परिस्थिति में त्रीव गत से आ रहे परिवर्तनों की वजह से यह जरूरी हो गया है कि बच्चे जो कुछ सिखाया जा रहा हैं उसे तो सीखें ही और साथ ही वे सतत् सीखते रहने की कला भी सीखें। इसलिए शिक्षा में विषयवस्तु को बढा़ने की जगह जोर इस बात पर अधिक होने की जरूरत है कि बच्चे समस्या समाधानप और तार्किक एवं रचनात्मक रूप से सोंचना सीखें, विविध विषयों के बीच अंर संबंधो को देख पायें, कुछ नया सोंच पायें और नयी जानकारी को नए और बदलते परिस्थियों या क्षेत्रों में उपयोग में ला पायें। शिक्षा से चरित्र निर्माण होना चाहिए। शिक्षार्थियों में नैतिकता, तार्किकता, करूणा और संवेदनशीलता विकसित करना चाहिए साथ ही रोजगार के लिए सक्षम बनाना चाहिए।
यह नीति भारत की परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों के आधार को बरकरार रखते हुए 21 वी सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्यों के संयोजन में शिक्षा व्यवस्था, उसके नियमन और गर्वनेंस सहित सभी पक्षों के सुधार और पुनर्गठन का प्रस्ताव रखती है।
प्रमुख नीतिगत प्रावधन
भाग-1 स्कूल शिक्षा
नीति में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा को सीखने की नींव कहा गया है। शोधों के अनुसार बच्चों के अस्तिव का 85 प्रतिशत विकास 6 वर्ष की उम्र के पूर्व ही हो जाता है। इसलिए नवीन नीति में 3 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को भी औपचारिक शिक्षा के अन्तर्गत लाया गया है। इस नीति में मुख्य रूप से लचीली, बहुआयामी , बहुस्तरीय, खेल आधारित शिक्षा को शामिल किया गया है। अर्थात् बच्चों का सर्वागीण विकास की अवधारणा से है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के ड्राप्ट आउट बच्चों की संख्या कम करने पर भी गंभीरता से विचार किया गया है। शिक्षा प्रणाली से बाहर हो चुके बच्चों को शीद्य्र वापस लाने हेतु ठोस राष्ट्रीय पहल का फाॅमूला इस नीति में सुझाया गया है। नीति में नये पाठ्यक्रम शैक्षणिक ढांचे को एक बडे बदलाव के रूप में देखा गया है। इसके पूर्व सचल रहे 10+2 मॉडल के स्थान पर 5+3+3+4 मॉडल अपनाने का सुझाव दिया गया है। जिसें शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिर्वतन के रूप में देखा जा कसता है। 5 यानि कक्षा नर्सरी से कक्षा दूसरी तक अर्थात् 3 से 8 वर्ष तक के बच्चे जिसे फाउंडेशन स्टेज कहा गया है। अगला 3 यानि तीसरी से पाँचवी तक अर्थात् कक्षा 8 से 11 वर्ष के बच्चे, जिसे प्रिपरेटरी स्टेज कहा गया है। और 4 यानि कक्षा 9 से 12 अर्थात् 14 से 18 वर्ष तक के बच्चे जिसे सेकेण्डरी स्टेज कहा गया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत व्यावसायिक शिक्षा को वर्तमान स्थिति पर चिन्ता जाहिर करते हुए वर्ष 2025 तक स्कूल और उच्चतर शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा का अनुभव प्रदान करने के का लक्ष्य रखा गया है।
भाग-2 उच्चतर शिक्षा
एक राष्ट्र के आर्थिक विकास और आजीविकाओं को स्थायित्व देने में उच्चतर शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है 20वी सदी की आवश्यकताओं देखते हुए गुणवत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा का जरूरी उद्देश्य अच्छे चिंतनशील,बहुमुखी प्रतिभा वाले रचनात्मक व्यक्तियों का विकास करना, होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्तमान उच्चतर शिक्षा प्रणाली का गहन विवेचन कर प्रणाली में अमूल-चूल परिर्वतन की ओर नये जोश के संचार के लिए सभी चुनौतियों को दूर करने के लिए कहते है। जिससे सभी युवाओं उनके आंकाक्षा के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण समान अवसर देने वाली एंव समावेशी उच्चतर शिक्षा मिले। इस नीति की दृष्टि में वर्तमान उच्चतर शिक्षा प्रणाली में निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन शामिल हैं-
संस्थागत पुनर्गठन और समेकन
उच्चतर शिक्षा के संबंध में यह नीति सबसे अनुशंसा बड़े एंव बहुविषयक विश्वविद्यालयों और उच्चतर शिक्षा संस्थान क्लस्टरों के संबंध में करती है। प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालयों तक्षशिला,नालंदा,वल्लभी और विक्रमशिला जिनमें भारत व अन्य देशों के हजारों छात्र जीवंत और और बहु विषयक परिवेश में शिक्षा ले रहे थे वे बड़ी सफलता का प्रदर्शन किये जो इस तरह के बड़े और बहु विषयक अनुसंधान और शिक्षण विश्वविद्याल ही कर सकते है। भारत को बहुमुखी प्रतिभा वाले योग्य व अभिनव कवियों को बनाने के लिए इस परंपरा को वावस लाने की आवश्यकता है, कई देश पहले से ही शैक्षिक और आर्थिक रूप से इस दिशा परिवर्तित हो रहे है।
समग्र और बहु विषयक शिक्षा की ओर
भारत में समग्र बहु विषयक तरीके से सीखने की एक प्राचीन परंपरा है। प्राचीन भारतीय साहित्य जैसे बाणभट्ट की कादंबरी शिक्षा को 64 कलओं के ज्ञान के रूप में परिभाषित करती है और 64 कलाओं के न केवल गायन और चित्रकला जैसे विषय भी शामिल है बल्कि विज्ञान के क्षेत्र जैसे - रसायन शास्त्र और गणित व्यावसायिक क्षेत्र जैसे- बढ़ई का काम और कपड़े सिलने के कार्य के साथ-साथ औषधिष् अभियांत्रिकी, संप्रेषण,चर्चा और वाद-संवाद करने व्यावसायिक कौशल भी शामिल है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जहाँ तक एक ओर भारत की प्राचीन गौरव का पुर्नस्थापित करने की दिशा में एक तर्कसंगत सरकारी दस्तावेज है वहीं दूसरी ओर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की उच्चतम शिखर पर स्थापित करने का भागीरथ प्रयास है। हर 40 वर्ष में नीति की समीक्षा करने की योजना देश को समय के साथ उपजी नवीन चुनौतियों आवश्यकताओं एवं संकल्पनाओं को समझने एंव उचित समाधान की पहल को लचीलापन प्रदान करता है। नीति को क्रियान्वयन शुरू हो चुका है। हम सभी के समेकित और ईमानदारी से युक्त प्रयास से नीति का क्रियान्वयन सफल होगा। मेरा विश्वास है कि यह आलेख पाठकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संबंध में समझ बनाने में सहयोग हो सकेगा।
संन्दर्भ ग्रथ -
  1. नेट से प्राप्त जानकारी के आधार पर
  2. 1.https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf
  3. 2. https://en.wikipedia.org/wiki/National_Education_Policy_2020