राष्ट्रीय शिक्षा नीति और उच्च शिक्षा का स्वरूप
 
रेनू कपूर*
ग्रंथपाल, शा.महा.वि. वेंकटनगर, जिला-अनूपपुर, (0प्र0)
ईमेल- renusinghsta30@gmail.com
सारांश - प्रस्तुत शोध पत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और उच्च शिक्षा का स्वरूप का अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। जब से मानव सभ्यता का उदय हुआ है, तब से भारत अपनी शिक्षा तथा दर्षन के लिये प्रसिद्ध रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देष्य उच्च षिक्षण संस्थानों की नई गुणवत्ता को स्थापित करना और आसान बनाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अन्तः विषय अध्यन को प्रोत्साहित करने, नये विषयों की पेशकश करने और छात्रों को नये अवसरों और लचीले पाठयक्रम विकल्पो तक पहंुच प्रदान करने पर जोड़ देती है। यह नीति उच्च शिक्षा में छात्रों को उन विषयों का चयन करने की अनुमति देती है, जो उनकी रूचियों और क्षमताओं के लिये सबसे उपयुक्त है। नीति का लक्ष्य व्यापक अनुकूलनीय शिक्षा प्रणाली विकसित करना है।
कीवर्ड - नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, विद्यार्थी, उच्च शिक्षा ।
परिचय
भारत में विश्व के प्रति रूझान प्राचीन काल से ही देखने को मिलता है प्राचीन काल में गुरूकुलों आश्रयों में शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था होती थी। भारत की प्राचीन शिक्षा आध्यात्मिकता पर आधारित थी, प्राचीन शिक्षा के महत्व के कारण ही भारत को प्राचीन काल से विश्वगुरू कहा जाता रहा है। भारतीय संस्कृति ने सदैव संसार का पथ प्रदर्षन किया है और यह सब भारतीय शिक्षा के द्वारा ही संभव हो सका है। शिक्षा से आर्थिक और सामाजिक प्रगति होती है इसलिये प्रत्येक देश अपनी परंपरा के अनुसार अलग-अलग शिक्षा प्रणाली को अपनाते है। संसार में ज्ञान के समान कुछ भी पवित्र नही है, ज्ञान ही मनुष्य की आशकाओं और जिज्ञासाओं को दूर करता है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति है जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। यह नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट आधारित है।
भारतीय संविधान के नीति निर्देषक तत्वों में कहा गया है कि प्राथमिक स्तर तक के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क षिक्षा की व्यवस्था की जाए। नई शिक्षा नीति में यह सब कुछ वर्णित है। जिससे विद्यार्थियों का सम्पूर्ण विकास होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति ज्ञान आधारित, सुजनात्मकता व रचनात्मकता के साथ प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की नीति है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में न केवल शिक्षा के ढांचे में परिवर्तन किया गया है बल्कि शिक्षा पद्धति में सुधार, नवाचार व अनुसंधान के साथ मनुष्य निर्माण पर भी ध्यान दिया गया है।
अध्ययन का उद्देष्य
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में जानना।
नई शिक्षा नीति 2020 के उद्देष्य के बारे में जानना।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा की दशा एवं दिशा के बारे में जानना।
शोधविधि
यह शोध पत्र प्राथमिक एवं द्वितीयक स्त्रोंतो के माध्यम से लिखा गया है, इस हेतु आॅनलाइन स्त्रोत, शोध पत्रों, समाचार पत्रों एवं पुस्तकों से तथ्यों का संकलन किया गया है। इसमें पाठ्यात्मक, वर्णात्मक, व्याख्यात्मक विधियों का उपयोग करते हुये राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं उच्च षिक्षा के बारे में ध्यान केन्द्रित किया गया है। जिसके आधार पर सम्पूर्ण प्रपत्र का लेखन किया है।
साहित्य समीक्षा
प्रेम परिहार 2020 में अपने शोध पत्र के माध्यम से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में लिखा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करना है जिसमें भारतीय परम्पराओं और मूल्यों को जगह मिले। नई शिक्षा नीति 2020 का इस प्रकार से क्रियान्वयन करना है कि सभी को विकास का अवसर मिल सके।
गिरीश्वर मिश्र 2020 अपने शोध पत्र में उल्लेख किया है कि भारत में साक्षरता शिक्षा संस्थाओं की संख्या और स्कूल में नामांकन भी बढा है, और हम गर्व भी महसूस कर सकते है, परन्तु जब विद्यार्थियों की गुणवत्ता की बात करें तो स्थिति बडी चिंता जनक दिखती है। शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का माध्यम होती है। शिक्षा से ही समाज का विकास होता है।
मीरा कुमारी और अन्य 2021 आज भारत ज्ञान-विज्ञान सूचना प्रद्योगिकी एवं अन्य तकनीकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ रहा है। शिक्षा नीति किसी भी राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण आवष्यकता होती है, जिसके अन्तर्गत अतीत का विष्लेषण किया जा सके, वर्तमान की आवष्यकता के विषय में जाना जा सके एवं भविष्य की संभावनाओं का ज्ञान हो।
बिरेन्द्र सिंह और अन्य 2022 ने अपने शोध पत्र में शिक्षा नीति की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डाला है। नई शिक्षा नीति का उद्देष्य बिना किसी भेदभाव के सभी व्यक्तियों को उनके बढ़ने और विकास के लिये समान अवसर प्रदान करना है।
कुबेर सिंह गुरूपंच 2022 उच्च शिक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी शिक्षा नीति के बारे में बताया गया है समय के साथ शिक्षा नीति में परिर्वतन आवष्यक होता है। जिससे देश का विकास सही तरीके से हो सके। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुये नई शिक्षा नीति का उददेष्य विद्यार्थियों को केवल पुस्तक ज्ञान देना नही है बल्कि उनका सम्पूर्ण व्यावहारिक एवं बौद्धिक विकास करना है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति
1948 में डॉ. राधा कृष्णन की अध्यक्षता में विश्व विद्यालय षिक्षण आयोग का गठन हुआ। तभी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्माण होना भी शुरू हुआ था। कोठारी आयोग की सिफारिशों पर आधारित 1968 में पहली बार महत्वपूर्ण बदलाव वाला प्रस्ताव इन्दिरा गाँधी धी के प्रधानमंत्री काल में पारित हुआ था। 1986 में भारत सरकार ने नई षिक्षा नीति 1986 का प्रारूप तैयार किया। इस नीति में 1992 में संषोधन किया गया था।
राष्टीªय शिक्षा नीति 2020 जिसे 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। सन् 1986 में जारी नई शिक्षा के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है। नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। नई शिक्षा नीति में देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एक सकल नियामक अर्थात भारतीय उच्च शिक्षा परिषद (Higher Education Commission of India HECI) की भी परिकल्पना की गई है। जिसमें विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने हेतु कई कार्य होगें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात को 100 प्रतिषत लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के अन्तर्गत केन्द्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6 प्रतिशत हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति में 10$2 के माॅडल को 5+3+3+4 माॅडल में बदला जायेगा।
नई शिक्षा नीति 2020 और उच्च शिक्षा
भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा परिवर्तित किया जा रहा है। इस नीति में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 2035 तक 50 प्रतिशत तक बढाया जाएगा। उच्च शिक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रभाव यूजी और उच्च शिक्षा का अध्ययन करने वाले छात्रों पर भी पडे़गा।
यू.जी. प्रोग्राम मे एकाधिक बार प्रवेश/निकास बिन्दुओं के साथ व्यापक आधारित बहु-विषयक, समस्त स्नातक शिक्षा की परिकल्पना की गई है। यूजी शिक्षा कई निकास विकल्पों और इस अवधि में 3 या 4 वर्ष की हो सकती है। 1 वर्ष पूरा करने के बाद प्रमाण पत्र दिया जायेगा, 2 साल के अध्ययन के बाद डिप्लोमा दिया जाएगा और 3 साल के अध्ययन के बाद स्नातक की डिग्री प्रदान की जाएगी, यदि छात्र 4 वर्षीय प्रोग्राम में एक बड़ा अनुसंधान परियोजना पूरी करता है तो उसे रिसर्च की डिग्री दी जाएगी। स्नातक की डिग्री 4 साल की रहेगी, सभी पाठ्यक्रमों में भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दी गई है। संस्थाओं के बीच क्रेडिट हस्तांतरण की सुविधा के लिये अकादमिक बैंक आॅफ के्रेडिट की स्थापना की जाएगी, जिससे यदि किसी विद्यार्थी ने स्नातक में किसी कारणवष 1 या 2 वर्ष की पढाई पूर्ण करने के पष्चात् वह पढाई छोड़ देता है तो उसकी यह 1 या 2 वर्ष की पढाई व्यर्थ नही जायेगी एवं जितने क्रेडिट इन वर्षो में उस विद्यार्थी ने अर्जित किए है वे सभी उसके क्रेडिट बैंक में संग्रहित रहेगे।
नई शिक्षा नीति के भीतर वोकेशनल पढाई पर विषेश ध्यान केन्द्रित किया गया है वोकेशनल पढाई के अन्तर्गत कई विकल्प है जिसका चयन विद्यार्थी अपनी रूचि एवं क्षमता के अनुसार कर सकता है।
नई नीति के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए शैक्षिक पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है इस नीति के लागू होने के बाद विद्यार्थी अगर ग्रेजुएशन विद रिसर्च कोर्स करते है तो उनका पोस्ट ग्रेजुएशन एक वर्ष में हो जाएगा। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद छात्रों के पास काॅलेज बदलने की सुविधा भी होगी।
निष्कर्ष
आधुनिक भारत में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विषिष्ट महत्व है इससे रचनात्मक और नवाचार को महत्व मिलेगा इस नीति से विद्यार्थियों को न केवल किताबी ज्ञान होगा बल्कि उनको व्यावहारिक ज्ञान और तकनीकी ज्ञान भी होगा। लेकिन हम वास्तव में इसका न्याय तब तक नही कर सकते जब तक कि इसकी योजनाएं कार्य में न आ जाएं, हम केवल सर्वोत्तम परिणामों के विषय में आषा कर सकते है।
संदर्भ
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  2. https://m.bharatdiscovery.org
  3. https://hi.vikaspedia.in
  4. https://www.iitms.com.in
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  8. https://navbharattimes.Indiatimes.com
  9. https://www.education.gov.in
  10. https://www.ijrar.org