बॉयल मिल उद्योगों का स्थानिक विश्लेषण
 
अशोक चौधरी*
शोधार्थी, भूगोल विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, राजस्थान, भारत
Email: ashok007d@gmail.com
सार - अजमेर जिला क्वार्ट्ज और फेल्सपार खनिजों के भण्डार के दृष्टिकोण सेसम्पन्न है। ये खनिज ब्यावर, मसुदा, नसीराबाद, केकड़ी, सरवाड़ और किशनगढ़तहसीलों में पाये जाते है जहाँ इनकी महत्वपूर्ण खदानें पायी जाती है। जवाजासमुह, मकरेरा-राजगढ़ समूह और तिलौरा पिपरोली खान समूह से उच्चगुणवत्ता वाले फेल्सपार व क्वार्ट्ज का खनन किया जा रहा है। अजमेर जिले मेंफेल्सपार निक्षेप बड़े पैमाने पर पोटाश मुक्त है जिनमें क्षारीय तत्व 11 से 40प्रतिशत तक पाये जाते है, जिसके कारण इन खनिजों का बड़ी मात्रा में खननप्रसंस्करण और परिवहन किया जा रहा है। इन खनिजों द्वारा घरेलु औरअन्तर्राष्ट्रीय मांगों की पूर्ति लगातार की जा रही है। क्वार्ट्ज और फेल्सपार काउपयोग विभिन्न उद्योगों जैसे सिरेमिक, ग्लास, सौंदर्य प्रसाधन, पेंट उद्योग मेंकिया जाता है। क्वार्ट्ज और फेल्सपार खनिज के पाउडर को ईरान, बांग्लादेशऔर तुर्की जैसे देशों में भी निर्यात किया जा रहा है।
कीवर्ड: सिरेमिक, सिलिका, ग्लास पाउडर, उत्पादन, रीको, ब्यावर, अजमेर
परिचय
अजमेर जिला राजस्थान राज्य के केन्द्र में 25038और 26058' उत्तरीअक्षांश और 73054' और 75022' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अजमेर जिलेका कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 8481 वर्ग किमी है। अजमेर जिले में ब्यावर, केकड़ी,अजमेर, किशनगढ़ चार उपमण्डल है। क्वार्ट्ज और फेल्सपार खनिज भंडारअजमेर जिले के दक्षिण पश्चिम में राजसमंद से लेकर उत्तर पूर्व में टोंक,भीलवाड़ा और अजमेर से होते हुए 200 किमी से अधिक लम्बी बेल्ट में पायाजाता है। क्वार्ट्ज और फेल्सपार खनिज मुख्य रुप से ब्यावर, मसुदा, नसीराबाद,केकड़ी, सरवाड़ तथा किशनगढ़ तहसीलों में अधिक पाया जाता है।अजमेर जिला क्वार्ट्ज और फेल्सपार का मुख्य उत्पादक है। 2020-21 मेंराजस्थान में फेल्सपार का कुल उत्पादन 36.11 लाख टन था, जिसमें से 13.86लाख टन का खनन अजमेर जिले से किया गया था। इसी प्रकार राजस्थान मेंक्वार्ट्ज का कुल उत्पादन 2020-21 में 1 लाख टन था, जिसमें से 17935 टनका खनन अजमेर जिले में किया गया था। इन खनिजों की खदानें ब्यावर,नसीराबाद, केकड़ी और किशनगढ़ तहसीलों में केन्द्रित है।
अध्ययन का उद्देश्य:
1. क्वार्ट्ज और फेल्सपार बॉयल मिलों का स्थानिक अवस्थितिक विश्लेषणकरना।
2. अजमेर जिले के क्वार्ट्ज और फेल्सपार पाउडर के औद्योगिक उपयोग कीपहचान करना।
साहित्य की समीक्षा :
लुआना, मौरा, स्लावियो पी. ऐन्ड्रे, हामला, सपाइकेली रेनियर, मुमैन औरलुईस मारसेलियो (2019) आदि ने पेग्मेटाइट, ग्रेनाइट्स और नदी की रेत सेनिकाले गए क्वार्ट्ज और फेल्सपार खनीजों के उपयोगों पर प्रकाश डाला। साथही इनके निष्कर्षण की भी विभिन्न विधियां सुझाई।
जे. के. फेदर्स, ईवास, एम, स्ट्रेटफोर्ड, डेला. पेना (2020) आदि ने क्वार्ट्जऔर फेल्सपार खनीजों की खोज के लिए ल्युमिनियस डेटिंग विधि का प्रयोगकरके पिट्सबर्ग औद्योगिक क्षेत्र में प्रमुख क्वार्ट्ज और फेल्सपार खनीज क्षेत्रों कीखोज की।
मार्टिन डी. और ग्रोडेच सी (2022) ने वर्तमान समय में शहरी व उपशहरीक्षेत्रों में बढ़ते निर्माण कार्यों के कारण क्वार्ट्ज और फेल्सपार खनीज की वउसके पाउडर की बढ़ती मांग पर प्रकाश डाला है।
अजमेर व ब्यावर की भूगर्भिक पृष्ठ भूमि:
भौगोलिक दृष्टि से अजमेर जिला भीलवाड़ा सुपर ग्रुप और दिल्ली रायलोसुपर ग्रुप का हिस्सा है।भीलवाड़ा सुपर ग्रुप में मेटा पेलाइट्स, क्वार्ट्जइट्स, कांग्लोमेरेट्स मार्बल,केल्कनशिष्ट, माइका शिष्ट, ग्रेनाइट्स, डोलामाइट्स आदि खनीज पाये जाते है।दिल्ली सुपर ग्रुप में प्रमुख रूप से क्वार्ट्जाइट, बायोटाइट, शिष्ट कैल्फ आदिखनीज पाये जाते है। अरावली के कटकों में सामान्यतया क्वार्ट्जाइट शैल समुहपाये जाते है जिनमें क्वार्ट्ज और फेल्सपार खनीज प्राप्त होता है।
चित्र-1. अजमेर जिले का भूगर्भिक मानचित्र
(स्रोत): माइन्स एण्ड जियोलॉजिकल डिपार्टमेन्ट अजमेर
विश्लेषण :
अजमेर जिले में क्वार्ट्ज का उत्पादन एवं वितरणक्वार्ट्ज का खनन पेग्मैटाइट और क्वार्ट्ज शिराओं से किया जाता है। अजमेरजिले में क्वार्ट्ज खनीज के विशाल भंडार है। अजमेर की विभिन्न तहसीलों मेंप्रमुख खनन क्षेत्रों की तालिका 1 में संक्षेप में वर्णन किया गया है और वार्षिकउत्पादन नीचे तालिका 2 में दिखाया गया है।
तालिका-1 अजमेर जिले में क्वार्ट्ज और फेल्सपार का खनन क्षेत्र
स्रोतः माइन्स एण्ड जियोलॉजिकल डिपार्टमेन्ट अजमेर
तालिका 2 अजमेर जिले में क्वार्ट्ज का वार्षिक उत्पादन (2018 से 2021)
स्रोतः खनिज सांख्यिकी रिपोर्ट 2015-2021, माइन्स एण्ड जियोलॉजिकल
चित्र 2. अजमेर जिले में क्वार्ट्ज उत्पादन क्षेत्र
अजमेर जिले में फेल्सपार का उत्पादन
फेल्सपार अंग्रेजी के पेल्डाफर का हिन्दी रुप है जो कि जर्मन शब्दफेल्डस्पेट से लिया गया है। फेल्ड का अर्थ है ऐसी चट्टानें जिनमें लौह अयस्कना हो। फेल्सपार का एक बड़ा समूह है जो सिलिका व एल्यूमिना की उपस्थितिसे निर्मित होता है। यह खनीज पृथ्वी पर पाये जाने वाले सबसे ज्यादा मात्रावाले खनीजों में से एक है जो लगभग 60 प्रतिशत स्थलीय चट्टानों का निर्माणकरते है।
1. राजस्थान देश में फेल्सपार का अग्रणी उत्पादक राज्य है जहां प्रमुख उत्पादकजिले अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, झुझुनू और उदयपुर है। पेग्मेटाइट फेल्सपार कामुख्य स्रोत है। पेग्मेटाइट शैलें अजमेर में उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम दिशा तक110 किमी फैली हुई है।
2. अजमेर जिले में अच्छी गुणवत्ता वाले पोटाश फेल्सपार के भण्डार पाये जातेहै। भूगर्भिक दृष्टि से जवाजा समूह, मकरेरा समूह, राजगढ़ समूह और तिलोरापिपराली समूह पोटाश फेल्सपार के खनन क्षेत्र है। फेल्सपार खनीज का मुख्यभंडार अजमेर, किशनगढ, नसीराबाद, मसुदा, ब्यावर, पीसांगन, केकड़ी, सरवाड़तहसीलों में पाया जाता है।
चित्र 3: अजमेर जिले में पायी जाने वाले फेल्सपार खनीज की किस्में
चित्र 4: अजमेर जिले में फेल्सपार खनन क्षेत्र
स्रोतः माइन्स एण्ड जियोलॉजिकल डिपार्टमेन्ट, अजमेर
तालिका 3: अजमेर जिले में फेल्सपार उत्पादन करने वाली तहसीलें
स्रोतः माइन्स एण्ड जियोलॉजिकल डिपार्टमेन्ट, अजमेर
निष्कर्ष:
उपर्युक्त अध्ययन से ज्ञात होता है कि अजमेर जिला फेल्सपार व क्वार्ट्जखनीज से सम्पन्न जिला है। अधिकतर खनन क्षेत्र ब्यावर के आस पास अवस्थितहै व ब्यावर देश के विभिन्न सिरेमिक उद्योग व काँच उद्योग क्षेत्रों से सड़क वरेलमार्गों द्वारा जुड़ा है। अतः ब्यावर में बॉयल मिलों के उद्योग के विकास कीउपयुक्त दशायें मौजूद है। ब्यावर बॉयल मिल उद्योग रीको व अनेक निजीसंस्थाओं के सहयोग से पिछले 50 वर्षों से अत्यधिक फलफूल रहा है। वर्तमान मेंयहां 600 से अधिक बॉयल मिल कार्यरत है। (स्रोतः रीको ब्यावर)बॉयल मिलों का सर्वप्रथम विकास ब्यावर शहर में हुआ है। तत्पश्चात वर्तमान मेंकिशनगढ़, नसीराबाद, सरवाड़, केकड़ी तहसीलों में पर्याप्त रुप से फैल चुका है।
वर्तमान में ब्यावर, जवाजा, सिलोरा के रीको औद्योगिक क्षेत्र और पीपलाद,रानीसागर, उदयपुर कलां में निजी क्षेत्रों के सहयोग से यह उद्योग फल फूलरहो है। ये बॉयल मिलें खनन क्षेत्रों व राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों के निकटविकसित हुये है।
वर्तमान समय में बढते शहरीकरण व बढते निर्माण उद्योग के कारणसिरेमिक उद्योग देश में तेजी से बढ़ रहा है जिसके लिए कच्चे माल की आपूर्तीइन बॉयल मिलों द्वारा क्वार्ट्ज व फेल्सपार पाउडर के रुप में हो रही है। ब्यावरमे सिरेमिक टाईल्स उद्योग का विकास नहीं होने से अधिकांश पाउडर मोरबी3.
गुजरात व अलवर को निर्यात कर दिया जाता है। अतः इससे ब्यावर बॉयलमिलों व ब्यावर को अत्यधिक राजस्व हानि हो रही है। साथ ही पर्यावरण को भीअत्यधिक नुकसान हो रहा है।
राजस्थान सरकार ने बॉयल मिलों के विकास के कई कदम उठाये हैपरन्तु अभी तक अपर्याप्त है। वर्तमान में अजमेर जिले में भी सिरेमिक आधारितउद्योगों को विकसित करने की आवश्यकता है ताकि अजमेर जिले में भी रोजगारकी संभावनाएँ विकसित हो।
संदर्भ:
  1. मौरा, एल.सी., आंद्रे, एफ.पी., मिसेली, एच., न्यूमैन, आर., और तवारेस, एल.एम. (2019)। शुष्क दुर्लभ पृथ्वी चुंबकीय पृथक्करण का उपयोग करके गनीस खदान रॉक फाइन से कांच उद्योग के लिए फेल्डस्पार क्वार्ट्ज रेत का निर्माण किया गया। खनिज प्रसंस्करण और निष्कर्षण धातुकर्म समीक्षा, 40(5), 333-343।
  2. सिल्वा, ए.सी., कैरोलिना, एस.डी., सूसा, डी.एन., और सिल्वा, ई.एम.एस. (2019)। सिरेमिक उद्योग में अनुप्रयोग के लिए आयाम पत्थर की सिलाई से फेल्डस्पार का उत्पादन। जर्नल ऑफ़ मैटेरियल्स रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी, 8(1), 1-7.
  3. मार्टिन, डी., और ग्रोडाच, सी. (2022)। शहरी सांस्कृतिक नीति में उत्पादन को शामिल करना: सांस्कृतिक उद्योगों और संबंधित विनिर्माण के स्थानीय पैटर्न। जर्नल ऑफ अर्बन अफेयर्स, 44(4-5), 567-587।
  4. कीबल, डी. (2022)। यूनाइटेड किंगडम में औद्योगिक स्थान और योजना। टेलर और फ्रांसिस.
  5. खान एवं भूविज्ञान विभाग, अजमेर से वार्षिक खनन रिपोर्ट
  6. स्टोइबर आरई, टॉल्मन सी, बटलर आर डी (1945) क्वार्ट्ज क्रिस्टल जमा का भूविज्ञान, भूविज्ञान। 30 पीपी 219-229.
  7. राजस्थान का भूविज्ञान एवं खनिज संसाधन (2013) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विविध प्रकाशन संख्या 30 भाग 12, तीसरा संशोधित संस्करण।
  8. जिलेवार वार्षिक खनिज रिपोर्ट: गौण खनिज (2016-21) विभागखान एवं भूविज्ञान, उदयपुर http://माइन्स.राजस्थान.gov.in/dmgcms/link से बाहरी फ़ाइल/ST2016-17.xlsx तक पहुँचा जा सकता है।