उच्च शिक्षा के छात्रों में डिजिटल मीडिया के उपयोग का मूल्यांकन: टेलीविजन एवं वेब मीडिया के बीच एक तुलनात्मक अध्ययन
[Evaluation of Utilization of Digital Media among the students of higher education: A Comparative study between Television and Web Media]
 
अभिषेक यादव1*, डॉ. आशुतोष वर्मा2
1 शोधार्थी, सैम ग्लोबल विश्वविद्यालय, भोपाल
Email: abhishekyadavimlooda@gmail.com
2 सहायक प्राध्यापक, सैम ग्लोबल विश्वविद्यालय, भोपाल
Email: Kapilraj@mcu.ac.in
सार [Abstract] - व्यक्तियों में डिजिटल मीडिया के प्रति आकर्षण अत्यंत गहरा है विद्यार्थियों को विभिन्न स्थानों पर आते-जाते हुए डिजिटल मीडिया के विभिन्न माध्यमों को प्रयोग में लाया जा रहा विशेष तौर पर वीडियो गेम खेलने अथवा शो स्ट्रीम करते हुए देखा गया है। देश विदेश कि खबर पढ़ रहे है | डिजिटल मीडिया को सरल शब्दों में परिभाषित करना अत्यंत ही कठिन है क्योंकि यह प्रौद्योगिकी में नवाचारों के साथ-साथ तेजी से विकसित हो रहा है। जैसे-जैसे हम भविष्य में आगे बढ़ेंगे, डिजिटल मीडिया का हमारा दैनिक उपयोग बढ़ेगा, विशेष रूप से होलोग्राफिक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) प्रौद्योगिकियों के विकसित होने और हमारे दैनिक जीवन में शामिल होने के कारण। प्रस्तुत शोध कार्य हायर सेकेंडरी में अध्ययनरत विद्यार्थियों द्वारा डिजिटल मीडिया के बढ़ते उपयोग का उनके विभिन्न जनसांख्यिकीय के अनुसार मूल्यांकन करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। जिसमे भोपाल शहर में शासकीय एवं गैर शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को सम्मिलित किया गया है।
कुंजीशब्द [Keywords]: डिजिटल मीडिया के उपयोग [Utilization of Digital Media], उच्च शिक्षा के छात्र [students of higher education], टेलीविजन [Television] and वेब मीडिया [Web Media]
प्रस्तावना [Introduction]
डिजिटल मीडिया जिसे आमतौर पर इन्टरनेट/वेबमीडिया, रेडियो और टीवी के रूप में जाना जाता है विद्यार्थियों द्वारा वर्तमान दौर में बहुतायत प्रयोग में लाया जा रहा है। कई प्राईवेट विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा अपने दैनिक होमवर्क के रूप उपयोग करने हेतु दिशानिर्देश किया जाता है। विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की माने तो डिजिटल मीडिया का प्रयोग विद्यार्थियों केजीवन स्तर [Living Standard]” को दर्शाता है। ऐसा माना जाता है कि भविष्य में नौकरी/व्यवसाय हेतु डिजिटल मीडिया पर निर्भर रहन पड़ सकता है वर्ष 1990 के दशक में जब केबल टीवी का लोगों के घरों में आगमन ने रेडियो एवं समाचार पत्रों की तुलना में लोगों को चलायमान विषयवस्तु (समाचार कार्यक्रम) के माध्यमों से देश दुनिया की खबरे देकर लोगों को अधिक जागृत किया है। इसके अतिरिक्त केबल टीवी के आगमन के साथ दर्शकों को विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों से अवगत कराया जाता है - आम तौर पर दूरदर्शन पर पहले देखी गई किसी भी चीज़ की तुलना में अधिक दिलचस्प, मनोरंजक और जानकारीपूर्ण। सभी आयु वर्ग के दर्शक, विशेषकर बच्चे, इनकी ओर आकर्षित होते हैं और दिन भर टेलीविजन से चिपके बैठे रहते हैं।
वर्ष 2000 के दशक में जब इन्टरनेट लोगों के घरों एवं विद्यालयों तक पहुंचा जिसका मतलब पूर्व-पश्चात् में होने वाली घटनाओं कि जानकारी आसानी से प्राप्त कि जाने लगी और एक ओर जहाँ लोग केवल टी.व्ही. पर प्रसारणों को एक समय पर ही देख सकते थे इन्टरनेट के माध्यम से उसको विभिन्न वेबसाइट के माध्यम से कभी भी देखा जा सकता था लेकिन इन्टरनेट की भी कुछ सीमाएं थी जैसे बिना इन्टरनेट (लाइन कनेक्शन) के प्रयोग नहीं किया जा सकता था लेकिन आने वाले दिनों में विभिन्न कंपनियों द्वारा वायरलेस इन्टरनेट सुविधा प्रदान करना शुरु कर दी गई परिणाम स्वरुप विद्यार्थियों में इन्टरनेट/वेब का प्रयोग तेजी बढ़ने लगा नई-नई वेबसाइट/पोर्टल अस्तित्व्त में आने लगे। वर्ष 2010 के दशक में लोगों द्वारा इन्टरनेट/वेब मीडिया को मोबाइल के माध्यम से प्रयोग में लाना प्रारंभ कर दिया और वर्ष 2015 में रिलायंस जिओ कि तरफ से इन्टरनेट सुविधा आमजन तक सस्ती दरों में पहुंचाते ही इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं कि संख्या में उछाल आया जो आज दिनांक तक जारी है आज देश के लगभग 80% स्चूली छात्र/छात्राएं मोबाइल/कंप्यूटर के माध्यम से डिजिटल मीडिया (खबरे प्राप्त करना /देना) उपयोग कर रहे है कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल मीडिया के अंतर्गत टेलीविजन के आने से अन्य रेडियो आदि का उपयोग कम हुआ उसी तरह इन्टरनेट/वेब मीडिया के आने से टेलीविजन का उपयोग भी कम हुआ है
मार्च 2020 (COVID-19) के प्रकोप भारत के लगभग सभी राज्यों में हो चुका था। लगभग 1 लाख से अधिक लोगों को अपनी जान कोरोनावायरस से गँवानी पड़ी, इसी माह (मार्च 21, 2020) में सरकार द्वारा पूरे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन (lockdown) घोषित कर दिया अर्थात देश में सभी गैर जरुरी एवं कम जरुरी शासकीय एवं गैर शासकीय कार्यालयों को आगामी आदेश तक बंद कर देने के आदेश दे दिए गए महामारी ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली, अर्थव्यवस्था और पूरे समाज कि विभिन्न व्यवस्थाओं को गंभीर नुकसान पहुंचा दिया। महामारी को रोकने और उसका जवाब देने के लिए सरकार द्वारा योजनायें लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई। यहाँ डिजिटल मीडिया ने बड़ा कार्यदायित्व निभाते हुए देश की कई प्रतिक्रियायें, कार्यालओं में कार्य एवं विद्यालयों/महाविद्यालाओं/विश्वविद्यालयों को व्यवस्थित रूप से चलाने में अहम् भूमिका निभाई। सूचना और प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, डिजिटल मीडिया ने इस महामारी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से दृश्य/श्रव्य सूचनाओं के साथ डेटा का प्रसारण करने, मनोरंजन करने, सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं के आदान प्रदान करने आदि में।
पूर्व साहित्य की समीक्षा [Review of prior literature]
डगलस केलनर और जेफ शेयर (2005) लेखक तर्क देते हैं, कि नए मीडिया में की गई प्रगति नई साक्षरता प्रथाओं की मांग करती है। हालाँकि, ऐसा कहने के बाद, वे पारंपरिक साक्षरता प्रथाओं के महत्व को कम नहीं करते हैं और "बहु साक्षरता" विकसित करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
जेन्किन्स एवं अन्य (2006) वास्तव में, वर्तमान समय में दुनिया भर में कंप्यूटर-मध्यस्थ साइबर के चलते सूचना/संचार प्रौद्योगिकी परिवेश में पारंपरिक प्रिंट मीडिया साक्षरता बढ़ती जा रही है, क्योंकि लोगों को भारी मात्रा में सूचनाओं की गहन जांच और स्क्रॉल करने की आवश्यकता होती है, जिससे स्कूली विद्यार्थियों में पढ़ने और लिखने की क्षमताओं के विकास पर नया जोर पड़ता है। शोधकर्ता द्वारा आलोचनात्मक साक्षरता के पक्ष में एक मजबूत बिंदु रखते है। जो सशक्त व्यक्तियों का निर्माण करने की संभावना रखता है। जिनके पास अपनी संस्कृति पर अधिक शक्ति और नियंत्रण होता है
एशेज नायक (2014) भारत में मीडिया का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है। यहीं पर मीडिया साक्षरता काम आती है। लोकतंत्र के जीवित रहने के लिए लोगों के विभिन्न वर्गों के बीच संवाद महत्वपूर्ण है और मीडिया साक्षरता इसे बढ़ावा देती है। मीडिया साक्षर मीडिया द्वारा उजागर किए गए मुद्दों की जांच करने, सीमा के भीतर और बाहर के मुद्दों को सुलझाने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं और संघर्षों के राजनीतिक समाधान चाहने वालों के अगुआ बन सकते हैं। मीडिया साक्षरता मौजूदा बौद्धिक वर्ग के लिए एक चुनौती और खतरा पैदा करेगी। जो ऐसे विमर्शों पर पनपते है। जो वास्तविकता से बहुत दूर हैं और सामाजिक समस्याओं के ऐसे समाधान पेश करते है।
सोनिया लिविंगस्टोन (2004) ने अपने शोधपत्र मीडिया साक्षरता और नई सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों की चुनौती में मीडिया साक्षरता के घटकों के अनुप्रयोग और नए आईसीटी के युग में इसकी प्रासंगिकता की जांच की है। जबकि वह इस बात पर सहमत है, कि पहुँच, विश्लेषण, मूल्यांकन और सामग्री निर्माण आवश्यक घटक हैं। जो सभी प्रकार के मीडिया में साक्षरता के लिए कौशल-आधारित दृष्टिकोण का निर्माण करते हैं, वह एक सामान्य शब्द के बजाय बहुवचन में साक्षरता की मांग करती है
रेनी हॉब्स (2010) ने डिजिटल और मीडिया साक्षरता में: एक कार्य योजना डिजिटल और मीडिया साक्षरता को जीवन कौशल के एक समूह के रूप में परिभाषित किया है। जो मीडिया-संतृप्त वातावरण और सूचना-समृद्ध समाज में सक्रिय भागीदारी के लिए आवश्यक है। इन जीवन कौशलों में सूचना तक पहुँचने, संदेशों का विश्लेषण करने, सामग्री बनाने, नैतिकता के संबंध में अपने स्वयं के आचरण पर विचार करने और जिम्मेदारी से कार्य करने की क्षमता शामिल है। हॉब्स स्पष्ट रूप से कहते हैं, कि पिछले 50 वर्षों में मीडिया साक्षरता, सूचना साक्षरता, दृश्य साक्षरता, समाचार साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य मीडिया साक्षरता आदि जैसे नए प्रकार की साक्षरताएँ उभरी है
शोध के उद्देश्य [Research Objectives]
शोध प्राविधि [Research Method]
प्राथमिक डेटा स्रोत [Primary Data Source]
द्वितीयक डेटा स्रोत [Secondary Data Source]
डेटा विश्लेषण एवं निर्वचन [Data Analysis and Interpretation]
संकलित प्राथमिक डेटा का विश्लेषण विभिन्न सांख्यिकीय उपकरणों के माध्यम से किया जिसके लिए SPSS सॉफ्टवेर का प्रयोग किया गया है
डेटा की वैधता एवं विश्वसनीयता
कोर्न्बेक अल्फा विश्वसनीयता को मापने के लिए जबकि कोल्मोगोरोव [Kolmogorov-Smirnov] एवं शापिरो विलक [Shapiro-Wilk] को वैधता के परीक्षण हेतु प्रयोग में लाया गया है
 
Reliability Statistics
 
Tests of Normality
Variabl(s)
Cronbach's Alpha
N of Items
df
K-S Value
Sig.
S-W Value
Sig.
Effectiveness by Television
.732
49
 
.147
.020
.960
.139
Effectiveness by Web Media
.854
49
 
.103
.200*
.980
.661
a. Lilliefors Significance Correction
*. This is a lower bound of the true significance.