समायोजन की समस्याएँ और उनका मानसिक स्वास्थ्य एवं शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव
Vineet Kumar Tripathi1*, Dr. Mamta Rani2
1 Research Scholar, Shri Krishna University, Chhatarpur, M.P., India
Email: vkt120881@gmail.com
2 Assistant Professor, Shri Krishna University, Chhatarpur, M.P., India
सार - विद्यालयी जीवन में किशोर छात्रों के समायोजन की समस्याएँ उनके मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षिक उपलब्धि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। समायोजन की समस्याएँ जैसे सामाजिक संपर्क की कठिनाइयाँ, पारिवारिक दबाव, और विद्यालयी वातावरण के साथ असामंजस्य छात्रों में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती हैं। इन मानसिक समस्याओं का शैक्षिक प्रदर्शन पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, जिससे छात्र ध्यान केंद्रित करने, सीखने की क्षमता और परीक्षा परिणामों में कमी महसूस करते हैं। सामाजिक समायोजन की कमी के कारण छात्र अलगाव का अनुभव करते हैं, जो उनके आत्म-सम्मान को प्रभावित करता है और इस प्रकार उनकी शैक्षिक उपलब्धि में गिरावट आती है। इस अध्ययन का उद्देश्य यह समझना है कि समायोजन की समस्याएँ और मानसिक स्वास्थ्य के बीच का संबंध कैसे शैक्षिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है, साथ ही यह भी जानना कि विद्यालयों में मानसिक स्वास्थ्य सुधार और समायोजन की समस्याओं के समाधान के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि को बेहतर किया जा सके।
मूल शब्द - समायोजन समस्याएँ, मानसिक स्वास्थ्य, शैक्षिक उपलब्धि, सामाजिक समायोजन
1. प्रस्तावना
समायोजन की समस्याएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं में उत्पन्न होने वाली कठिनाइयाँ हैं, जो व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षिक उपलब्धि पर गहरा प्रभाव डालती हैं। समायोजन का अर्थ है किसी नए वातावरण, स्थिति या अनुभव के साथ अपने आप को तालमेल बैठाना। यह समायोजन विभिन्न जीवन परिवर्तनों, जैसे कि स्कूल में प्रवेश, नये शहर या देश में स्थानांतरण, परिवार में बदलाव, या जीवन के किसी अन्य महत्वपूर्ण बदलाव के कारण उत्पन्न हो सकता है। ऐसे समय में व्यक्ति को मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यदि इन समस्याओं का समय पर समाधान न किया जाए, तो यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति और शैक्षिक सफलता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
समायोजन की समस्याएँ मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं, जैसे कि चिंता, तनाव, अवसाद, और आत्म-संशय की स्थितियाँ। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र एक नए स्कूल में प्रवेश करता है, तो उसे नए वातावरण, अध्यापकों और सहपाठियों के साथ तालमेल बैठाने में कठिनाई हो सकती है। यह मानसिक दबाव और आत्म-संप्रेषण की समस्या पैदा कर सकता है, जो अंततः उसकी शैक्षिक उपलब्धियों को प्रभावित करता है। इसके अलावा, पारिवारिक या सामाजिक समस्याएँ भी समायोजन की बाधाएँ उत्पन्न कर सकती हैं, जो व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को और भी अधिक प्रभावित करती हैं।
शैक्षिक उपलब्धि पर समायोजन की समस्याओं का प्रभाव भी गहरा होता है। जब छात्रों को अपने वातावरण या नए बदलावों के साथ समायोजित होने में कठिनाई होती है, तो उनका ध्यान पाठ्यक्रम पर नहीं रहता और वे उचित तरीके से सीखने में असमर्थ हो सकते हैं। तनाव और चिंता के कारण उनकी मानसिक स्थिति में अस्थिरता आ सकती है, जो उनके शैक्षिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है। समायोजन की समस्या न केवल उनकी अकादमिक क्षमता को कम कर सकती है, बल्कि यह उनकी आत्ममूल्यता और आत्मविश्वास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जो भविष्य में उनके शैक्षिक और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकती है।
इसलिए, समायोजन की समस्याओं का मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव समझना और इसे सही समय पर संबोधित करना बहुत आवश्यक है। विभिन्न समर्थन प्रणालियाँ, जैसे कि काउंसलिंग, समुचित मार्गदर्शन, और परिवार और समुदाय का समर्थन, इन समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं, जिससे व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षिक प्रदर्शन बेहतर हो सकता है।
2. समायोजन की समस्याएँ
समायोजन की समस्याएँ किशोरावस्था में अत्यधिक सामान्य हैं और ये मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं, जिससे शैक्षिक उपलब्धि भी प्रभावित होती है। विद्यालयी जीवन में छात्र विभिन्न शैक्षिक, सामाजिक और भावनात्मक दबावों का सामना करते हैं, जो उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रवृत्त कर सकते हैं। समायोजन का अर्थ है, विद्यार्थियों द्वारा अपने सामाजिक, शैक्षिक और व्यक्तिगत वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करना। इस प्रक्रिया में अगर किसी भी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न होती है, तो उसका असर मानसिक स्थिति पर पड़ता है, जो अंततः उनकी शैक्षिक उपलब्धि को प्रभावित करता है। इस समीक्षा पत्र में, समायोजन की समस्याओं, मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं, और शैक्षिक प्रदर्शन पर उनके प्रभाव को विस्तृत रूप से विश्लेषित किया गया है।
किशोरावस्था वह समय होता है जब बच्चे अपनी पहचान, सामाजिक कृत्य, और व्यक्तिगत विचारों में बदलाव महसूस करते हैं। इस समय छात्रों को विद्यालय में शैक्षिक सफलता प्राप्त करने के साथ-साथ सामाजिक समायोजन की समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं। समायोजन की समस्याएँ मुख्य रूप से चार प्रमुख क्षेत्रों में बंटी हुई हैं:
- सामाजिक समायोजन: विद्यार्थियों का अपने सहपाठियों, शिक्षकों और अन्य विद्यालयी कर्मचारियों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। समाजीकरण की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की कठिनाई छात्र को अकेला और मानसिक रूप से परेशान कर सकती है, जो अंततः उसकी शैक्षिक सफलता में बाधा डालती है। किशोरों में दोस्ती बनाने, समूह में काम करने, और स्कूल की गतिविधियों में भाग लेने की आदतें धीरे-धीरे विकसित होती हैं। जब छात्र इस प्रक्रिया में पिछड़ते हैं या असफल होते हैं, तो उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
- शैक्षिक समायोजन: विद्यार्थियों को शैक्षिक वातावरण में सफलतापूर्वक समायोजित होने के लिए पढ़ाई, समय प्रबंधन, और कार्यभार को संभालने की क्षमता की आवश्यकता होती है। स्कूल के पाठ्यक्रम, शिक्षकों की अपेक्षाएँ, और परीक्षा प्रणाली के साथ तालमेल बिठाना कठिन हो सकता है। यह समस्याएँ तनाव, चिंता, और नकारात्मक भावनाओं को जन्म देती हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकती हैं और शैक्षिक उपलब्धि में गिरावट का कारण बन सकती हैं।
- पारिवारिक समायोजन: घर का वातावरण और पारिवारिक संबंध भी किशोरों के समायोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पारिवारिक दबाव, भावनात्मक असंतुलन, और परिवार के सदस्यों के साथ समस्याएँ छात्रों में मानसिक दबाव पैदा कर सकती हैं, जो उनकी समायोजन क्षमता को प्रभावित करती हैं। यह न केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि शैक्षिक प्रदर्शन में भी गिरावट ला सकता है।
- व्यक्तिगत समायोजन: किशोरों का अपने स्वयं के विचारों, इच्छाओं और पहचान के प्रति समायोजन भी मानसिक स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आत्म-सम्मान की कमी, शारीरिक परिवर्तन, और भविष्य के बारे में चिंता, इन सभी समस्याओं के कारण छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है, जो शैक्षिक उपलब्धि को प्रभावित कर सकता है।
3. मानसिक स्वास्थ्य और समायोजन की समस्याएँ
समायोजन की समस्याएँ मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं से गहरे जुड़ी होती हैं, और इन समस्याओं का प्रभाव शैक्षिक उपलब्धियों पर व्यापक होता है। जब छात्र किसी नए वातावरण या स्थिति में समायोजित नहीं हो पाते हैं, तो उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। शैक्षिक और सामाजिक परिवेश में समायोजन में कठिनाई होने पर छात्रों में विभिन्न मानसिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि तनाव, चिंता, अवसाद, और आत्म-संवेदनशीलता।
तनाव एक सामान्य मानसिक प्रतिक्रिया है जब व्यक्ति किसी नई या चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करता है। छात्रों के लिए, यह तनाव नए स्कूल, कॉलेज, कक्षा या सामाजिक माहौल में फिट होने की कोशिश के दौरान उत्पन्न हो सकता है। जब विद्यार्थी यह महसूस करते हैं कि वे अपने परिवेश के अनुरूप नहीं हैं, तो यह तनाव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। तनाव के कारण शारीरिक और मानसिक थकान हो सकती है, जिससे छात्रों का शैक्षिक प्रदर्शन प्रभावित होता है।
चिंता समायोजन की समस्याओं से उत्पन्न होने वाली एक और प्रमुख मानसिक स्थिति है। जब छात्रों को नए अनुभवों या परिवर्तनों के साथ सामना करना पड़ता है, तो वे भविष्य को लेकर चिंता करने लगते हैं। क्या वे सफलता प्राप्त करेंगे? क्या वे नए दोस्तों से मिल पाएंगे? क्या वे अपनी पढ़ाई में अच्छे अंक ला सकेंगे? ऐसी चिंताएँ विद्यार्थियों के मन में समायोजन के दौरान पैदा होती हैं और मानसिक तनाव को बढ़ाती हैं। चिंता का असर उनकी मानसिक स्थिति और शैक्षिक फोकस पर पड़ता है, जिससे उनका ध्यान पढ़ाई से भटक सकता है और अकादमिक प्रदर्शन में कमी हो सकती है।
अवसाद भी समायोजन की समस्याओं से जुड़ी एक गंभीर मानसिक स्थिति है। जब कोई छात्र लंबे समय तक मानसिक दबाव और चिंता का सामना करता है, तो यह अवसाद में बदल सकता है। अवसाद के कारण विद्यार्थियों में ऊर्जा की कमी, निराशा, और उत्साह की कमी महसूस होती है। वे अपनी पढ़ाई में रुचि खो सकते हैं, और मानसिक थकान के कारण उनका ध्यान और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। अवसाद शैक्षिक सफलता में गंभीर रुकावट डाल सकता है, क्योंकि यह विद्यार्थियों के सोचने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
आत्मविश्वास की कमी भी समायोजन की समस्याओं से उत्पन्न हो सकती है। जब छात्र अपने सामाजिक या शैक्षिक परिवेश में समायोजित नहीं हो पाते, तो वे अपनी क्षमताओं पर सवाल उठाने लगते हैं। यह आत्म-संवेदनशीलता और आत्म-संवेदनहीनता के रूप में प्रकट हो सकता है। वे महसूस कर सकते हैं कि वे दूसरों से अलग हैं या वे किसी अन्य स्थान पर फिट नहीं होते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास प्रभावित होता है। आत्मविश्वास की कमी से विद्यार्थी अपनी शैक्षिक कार्यों में भी संकोच कर सकते हैं, और यही संकोच उनकी शैक्षिक उपलब्धियों को और भी कम कर सकता है।
इन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का शैक्षिक प्रदर्शन पर गहरा असर पड़ता है। मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद, और आत्मविश्वास की कमी विद्यार्थियों के मनोबल को गिरा देती है और वे अपनी पढ़ाई में पूरी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। जब छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं होता, तो उनका शैक्षिक प्रदर्शन प्रभावित होता है। वे परीक्षा की तैयारी में पिछड़ सकते हैं, असाइनमेंट समय पर नहीं कर सकते, और कक्षा के दौरान भी ध्यान भटक सकता है।
इसलिए, समायोजन की समस्याओं का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है, और यह शैक्षिक उपलब्धियों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। छात्रों की मानसिक स्थिति का सही समय पर मूल्यांकन और उपचार किया जाना चाहिए, ताकि वे शैक्षिक रूप से अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकें और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकें।
4. मानसिक स्वास्थ्य और समायोजन के बीच परस्पर संबंध
मानसिक स्वास्थ्य और समायोजन के बीच गहरा और परस्पर संबंध है, जो छात्रों के शैक्षिक और सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है। जब मानसिक स्वास्थ्य ठीक होता है, तो एक छात्र अपने परिवेश में अच्छे से समायोजित हो सकता है और चुनौतियों का सामना सकारात्मक रूप से करता है। मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने से न केवल एक छात्र की शैक्षिक उपलब्धियाँ बेहतर होती हैं, बल्कि वह अपने सामाजिक रिश्तों और समायोजन में भी सफलता प्राप्त करता है।
4.1 मानसिक स्वास्थ्य का सकारात्मक प्रभाव समायोजन पर
जब किसी छात्र का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है, तो वह विभिन्न परिवर्तनों और चुनौतियों के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से तालमेल बैठा सकता है। एक मानसिक रूप से स्वस्थ छात्र नकारात्मक भावनाओं से मुक्त रहता है, जैसे कि चिंता या अवसाद, जो समायोजन के दौरान उत्पन्न हो सकती हैं। इस मानसिक स्थिति के परिणामस्वरूप, छात्र सामाजिक वातावरण में आत्मविश्वास के साथ कदम रखता है और अपने नए परिवेश को खुले दिल से अपनाता है। जब वह अपने सहपाठियों, शिक्षकों, और स्कूल/कॉलेज के वातावरण के साथ अच्छे से जुड़ता है, तो यह न केवल उसकी मानसिक स्थिति को सशक्त करता है, बल्कि उसके शैक्षिक प्रदर्शन में भी सुधार लाता है। एक स्वस्थ मानसिकता से, वह न केवल पढ़ाई में अपने कार्यों को बेहतर ढंग से निपटाता है, बल्कि अपने विचारों को स्पष्ट और सकारात्मक रूप से व्यक्त करने में भी सक्षम होता है।
इसके अतिरिक्त, मानसिक स्वास्थ्य के सुधार से छात्रों में सामाजिक कौशल में वृद्धि होती है। जब कोई छात्र मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, तो वह अपने सामाजिक नेटवर्क में बेहतर तरीके से समायोजित हो सकता है, जिससे वह न केवल शैक्षिक वातावरण में बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी अधिक खुश और संतुष्ट महसूस करता है। इसके परिणामस्वरूप, उसे दोस्तों के साथ अच्छे संबंध बनाने में मदद मिलती है, जो उसे आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास में वृद्धि देते हैं।
4.2 मानसिक समस्याओं का समायोजन पर नकारात्मक प्रभाव
जब मानसिक समस्याएँ जैसे कि अवसाद, चिंता, और तनाव उत्पन्न होती हैं, तो ये समायोजन की समस्याओं को और बढ़ा देती हैं। जब छात्र मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होते, तो उनका ध्यान और ऊर्जा समायोजन की चुनौतियों पर केंद्रित हो जाती है, जिससे उनका शैक्षिक प्रदर्शन प्रभावित होता है। मानसिक समस्याओं के कारण छात्र अपने परिवेश में खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं और उन्हें नए परिवेश में फिट होने में कठिनाई होती है। यह स्थिति उन्हें सामाजिक रूप से असहज बना सकती है, जिससे वे अन्य छात्रों से बातचीत में संकोच करते हैं और कक्षा के वातावरण में पूरी तरह से शामिल नहीं हो पाते हैं।
इसके अलावा, मानसिक समस्याएँ जैसे कि चिंता और तनाव, छात्रों को अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई पैदा करती हैं। जब एक छात्र मानसिक दबाव में होता है, तो वह अपनी पढ़ाई के प्रति उत्साहित नहीं रहता और उसे स्कूल के कार्यों को पूरा करने में रुचि नहीं होती। तनाव के कारण उनका सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है, जो परीक्षा की तैयारी, असाइनमेंट्स, और अन्य शैक्षिक कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अवसाद और चिंता की स्थिति में, छात्र अपने शैक्षिक लक्ष्यों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं और अपनी आत्म-संवेदनशीलता के कारण आत्मविश्वास खो देते हैं, जो उनके शैक्षिक प्रदर्शन को और कमजोर कर देता है।
4.3 समायोजन और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखना
मानसिक स्वास्थ्य और समायोजन के बीच परस्पर संबंध को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। मानसिक स्वास्थ्य का सुधार छात्रों को शैक्षिक और सामाजिक रूप से समायोजित करने में मदद करता है, जबकि मानसिक समस्याएँ समायोजन की प्रक्रिया को और जटिल बना सकती हैं। स्कूलों, कॉलेजों और समाज को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने और छात्रों के लिए एक सहायक वातावरण बनाने की आवश्यकता है, जिससे वे समायोजन की समस्याओं का सामना करने में समर्थ हों और अपने शैक्षिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल, काउंसलिंग सेवाओं और सहयोगी समुदाय की सहायता से समायोजन की समस्याओं को कम किया जा सकता है, और इससे छात्रों के समग्र विकास और सफलता में वृद्धि होती है।
5. शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव
समायोजन की समस्याएँ और मानसिक स्वास्थ्य का शैक्षिक उपलब्धि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब छात्र मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं, तो वे शैक्षिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए प्रेरित रहते हैं। वे परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, अध्यायों को अच्छे से समझते हैं और अपनी अकादमिक जिम्मेदारियों को समय पर पूरा करते हैं। इसके विपरीत, मानसिक समस्याएँ जैसे तनाव, चिंता, और अवसाद, विद्यार्थियों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को कमजोर करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी शैक्षिक सफलता में गिरावट आती है।
सामान्य समस्याएँ जो शैक्षिक प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं:
- तनाव और चिंता: अध्ययन, परीक्षा, और सामाजिक दबाव के कारण छात्र मानसिक तनाव का सामना करते हैं, जो उनकी शैक्षिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है।
- अवसाद: गंभीर अवसाद विद्यार्थियों को अध्ययन करने और स्कूल में भाग लेने के लिए प्रेरित नहीं कर पाता है।
- आत्मविश्वास की कमी: मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ छात्रों के आत्म-सम्मान को कमजोर करती हैं, जिससे उनका शैक्षिक प्रदर्शन प्रभावित होता है।
- समय प्रबंधन की समस्या: मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ छात्रों को समय प्रबंधन में कठिनाई उत्पन्न कर सकती हैं, जिसके कारण उनकी पढ़ाई में व्यवधान आता है।
6. निष्कर्ष
समायोजन की समस्याएँ किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षिक प्रदर्शन पर गहरा प्रभाव डालती हैं, और यह दोनों एक दूसरे से आपस में जुड़े हुए होते हैं। जब किशोरों को शैक्षिक और सामाजिक वातावरण के साथ समायोजित होने में कठिनाई होती है, तो मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे तनाव, चिंता, अवसाद और आत्मविश्वास की कमी उत्पन्न हो सकती हैं, जो उनके शैक्षिक प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं। इसके साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएँ छात्रों की सोचने की क्षमता, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और शैक्षिक कार्यों में रुचि को भी प्रभावित करती हैं, जिससे उनकी शैक्षिक उपलब्धियाँ कम हो सकती हैं। इसके विपरीत, समायोजन की समस्याएँ मानसिक स्वास्थ्य को और कमजोर कर सकती हैं, क्योंकि तनाव और चिंता से मानसिक स्थिति अस्थिर हो सकती है। इसलिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि विद्यालयों और अन्य शैक्षिक संस्थाओं में मानसिक स्वास्थ्य के सुधार के लिए प्रभावी हस्तक्षेप और उपायों को लागू किया जाए। मानसिक स्वास्थ्य समर्थन, काउंसलिंग सेवाएँ और समग्र कल्याण कार्यक्रम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं, जिससे उनका शैक्षिक प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। इस दृष्टिकोण से समग्र रूप से किशोरों के शैक्षिक, सामाजिक और व्यक्तिगत विकास में सकारात्मक बदलाव आ सकता है, और वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकते हैं। एक सहायक और समर्पित शैक्षिक वातावरण बच्चों को समायोजन की समस्याओं का सामना करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है, जो उनके भविष्य की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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