Maharishi Arvind Ka Shiksha Darshan
Relevance and Implementation of Maharishi Arvind's Shiksha Darshan in Today's Education
by Ruchika Sharma*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 3, Issue No. 5, Jan 2012, Pages 0 - 0 (0)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
श्री अरविन्द ने भारतीय शिक्षा चिन्तन में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने सर्वप्रथम घोषणा की कि मानव सांसारिक जीवन में भी दैवी शक्ति प्राप्त कर सकता है। वे मानते थे कि मानव भौतिक जीवन व्यतीत करते हुए तथा अन्य मानवों की सेवा करते हुए अपने मानस को `अति मानस' तथा स्वयं को `अति मानव'(Superman) में परिवर्तित कर सकता है। शिक्षा द्वारा यह संभव है। आज की परिस्थितियों में जब हम अपनी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति एवं परम्परा को भूल कर भौतिकवादी सभ्यता का अंधानुकरण कर रहे हैं; अरविन्द का शिक्षा दर्शन हमें सही दिशा का निर्देश करता हैं। आज धार्मिक एवं अध्यात्मिक जागृति की नितान्त आवश्यकता है। श्री वी।आर।तनेजा के शब्दों में-"श्री अरविन्द का शिक्षा-दर्शन लक्ष्य की दृष्टि से आदर्शव दी, उपागम की दृष्टि से यथार्थवादी, क्रिया की दृष्टि से प्रयोजनवादी तथा महत्त्वाकांक्षा की दृष्टि से मानवतावादी है। हमें इस दृष्टिकोण को शिक्षा में अपनाना चाहिए।" आज अरविन्द के शिक्षा दर्शन की सर्वाधिक प्रासंगिकता है।
KEYWORD
Maharishi Arvind, Shiksha Darshan, Indian education, yoga, divine power, superman, ancient civilization, spirituality, philosophy, teaching